Mar 25, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, जीवन को बेहतर बनाने वाले सूत्र आपको कभी भी, कहीं भी और किसी से भी मिल सकते हैं, बशर्ते आप अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए तैयार हों। जी हाँ दोस्तों, यह स्थिति बिल्कुल वैसी ही है जैसे एक कक्षा में शिक्षक सभी बच्चों को समान भाव से, समान पाठ ही पढ़ाता है, लेकिन इसके बाद भी हर बच्चा उसमें से अपनी क्षमता, अपनी सोच और अपनी इच्छा के अनुसार सीखता है। उक्त बात मुझे हाल ही में उस वक़्त ध्यान आई, जब मैं एक कॉलेज के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे बच्चों के लिए आयोजित फ़ेयरवेल में भाग ले रहा था।
फ़ेयरवेल के दौरान मुझे सबसे अच्छा तब लगा जब अंतिम वर्ष के छात्रों ने प्रथम वर्ष के छात्रों का अभिवादन करते हुए अपने शिक्षकों के बारे में विस्तार से बताया और उन्हें इस बात के लिए आश्वस्त करा कि वे बेहतरीन हाथों द्वारा तराशे जा रहे हैं। इसके पश्चात एक-एक कर अंतिम वर्ष के छात्र मंच पर आए और अपने कॉलेज के अनुभवों को याद कर, कॉलेज में मिली अपने जीवन की सबसे बड़ी सीख को शिक्षक के नाम सहित सभी के साथ साझा किया। अपने शिक्षकों के प्रति इस तरह का आभार मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा था।
अंत में सभी छात्र एक साथ मंच पर आए और उन्होंने एक-एक कर अपने शिक्षकों को मंच पर बुला कर सम्मानित किया और उनसे जीवन की एक और महत्वपूर्ण सीख देने का आग्रह किया। शिक्षकों द्वारा छात्रों को कॉलेज के अंतिम दिन दी गई सीख वाक़ई में जीवन के अमूल्य मंत्र थे या यूँ कहूँ शिक्षकों के जीवन का निचोड़ थे। अंत में जब शाला प्रमुख का नम्बर आया तो पहले तो उन्होंने छात्रों को शिक्षा पूर्ण करने के लिए बधाई दी और फिर उसके बाद एक ज़बरदस्त फ़ेयरवेल आयोजित करने के प्रथम वर्षों के छात्रों का आभार व्यक्त करते हुए अपनी बात को विराम दे दिया। उनके ऐसा करते ही एक छात्र खड़ा हुआ और बोला, ‘सर, आपने हमेशा हम सभी को ज्ञान प्रदान किया है। आज भी हम आपसे यही अपेक्षा रखते हैं। कृपया आज भी आप हमें कोई ऐसा सूत्र दें जिसमें जीवन के ज्ञान का सार हो।’
शाला प्रमुख जो पूरे ध्यान और गंभीरता के साथ शिष्य की बात सुन रहे थे, हल्का सा मुस्कुराए और बोले, ‘मैंने सभी बातें आपके प्रशिक्षण में विस्तार से बता दी हैं। समझ नहीं पा रहा हूँ कि इसके आगे और क्या बताऊं।’ लेकिन वहाँ मौजूद सभी छात्र उन्हें और सुनना चाहते थे इसलिए उन सभी ने एक बार फिर शाला प्रमुख से जीवन के ज्ञान का सार बताने वाले कुछ सूत्र बताने का आग्रह किया। बार-बार के आग्रह पर शाला प्रमुख एकदम गंभीर मुद्रा में आ गए और जीवन को बेहतर बनाने वाली महत्वपूर्ण सीख साझा करते हुए बोले, ‘प्रिय छात्रों, आज से आप सब ज़िम्मेदार भविष्य निर्माता बन गये हो और अब आप सब अपने-अपने क्षेत्र में जाकर अपना-अपना कार्य करोगे, ख़ुद के साथ लोगों की ज़िंदगी को बेहतर बनाओगे। लेकिन अगर तुम इस जीवन के बाद के जीवन को भी बेहतर बनाना चाहते हो तो इन तीन अंतिम सूत्रों को हमेशा याद रखना-
पहला सूत्र - हर पल देने का भाव रखते हुए जीना और साथ ही ज्ञान का प्रसार करते हुए जीवन में आगे बढ़ना।
दूसरा सूत्र - दिन में हर काम को इस तरह करना कि रात को अच्छी नींद आ सके। अर्थात् दिनभर काम करने के पश्चात तुम्हें अनावश्यक का तनाव ना हो और साथ ही तुम्हारे मन में कोई नकारात्मक भाव ना हो और तुम पूरी तरह संतुष्ट हो।
तीसरा सूत्र - रात में कोई ऐसा काम ना करना कि सुबह दुनिया को मुँह दिखाने लायक़ ना रहो।
इतना कह कर उन्होंने एक छोटा सा विराम लिया और बोले, ‘बेटा, मेरे जीवन का यही सार है, जिसके कारण आज मुझे तुम सभी से इतना मान और सम्मान मिल रहा है।’ इतना कहकर शाला प्रमुख तो मंच से नीचे उतर गये लेकिन सभी छात्र उनके सम्मान में खड़े रहकर काफ़ी देर तक ताली बजाते रहे। मैंने भी तुरंत शाला प्रमुख को जीवन जीने के महत्वपूर्ण सूत्र सिखाने के लिए धन्यवाद दिया और साथ ही इस घटना को अपने शो और लेख में काम में लेने की आज्ञा चाही तो वे बोले, ‘सर, ज्ञान पर सभी का हक़ है आप ज़रूर सभी से साझा कीजियेगा। लेकिन मेरा एक छोटा सा आग्रह है कृपया मेरा नाम उसमें मत लिखियेगा। इसीलिए दोस्तों, मैं उन सज्जन का नाम लिये बग़ैर अपने लेख को इस आशा के साथ विराम दे रहा हूँ कि आप सभी इन सूत्रों से अपने जीवन को बेहतर बनायेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर