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सब कुछ मिलता भी उसी को है जो देना जानता है…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Mar 23, 2024
  • 3 min read

Mar 23, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, तुलना करने के मुक़ाबले ईश्वर ने जो दिया है, उसे संतुष्टि के भाव से स्वीकारना और जीवन को देने के भाव के साथ जीना, दो ऐसी बातें हैं जो आपके जीवन को पूर्ण बना सकती हैं। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बात कई साल पुरानी है, एक गाँव में दो किसान रहते थे। दोनों ही किसानों के पास बहुत थोड़ी सी ज़मीन थी इसलिए उन्होंने अपना पूरा जीवन बहुत ग़रीबी में बिताया था। एक दिन अचानक ही दोनों किसानों की एक साथ मृत्यु हो गई और यमदूत उन्हें भगवान के पास ले आए। भगवान ने बड़े प्रेम के साथ दोनों किसानों का स्वागत किया, उन्हें अपने पास बुलाया और पूछा, ‘बच्चों बताओ तुम्हारा यह जीवन कैसा था? तुम्हें अपने इस जीवन में क्या कमी महसूस हुई? अगला जन्म तुम कैसा लेना चाहोगे?’


भगवान का प्रश्न सुनते ही दोनों में से एक किसान थोड़ा चिढ़ता हुआ ग़ुस्से से बोला, ‘प्रभु, वह भी कोई जीवन था? आपको अंदाज़ा भी है, मैंने उस जीवन में कितने कष्ट भोगे थे? मेरे और बैलों के जीवन में कोई अंतर नहीं था। दिन भर खेत में जी तोड़ मेहनत करना और उसके बाद भी बमुश्किल ज़रूरत की चीजें जुटा पाना। ना कभी परिवार की ज़रूरतें पूरी कर पाया और ना ही कभी ख़ुद के लिए नये कपड़े ख़रीद पाया। जो भी थोड़े बहुत पैसे कमाता था, वह कोई ना कोई आकर, किसी ना किसी बहाने से ले जाता था। हाथ में कभी भी कुछ नहीं बचता था। ऐसा लगता था मानो मैं दूसरों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए जानवरों समान जीवन जी रहा हूँ।’


उसकी बात ध्यान से सुनने के पश्चात भगवान बोले, ‘वत्स! तो अब तुम कैसा जीवन चाहते हो? मैं तुम्हें अगले जन्म में कैसा बनाऊँ?’ कुछ पलों के लिए तो किसान सोचता रहा, फिर हाथ जोड़कर बोला, ‘भगवान! आप मुझे ऐसा जीवन दीजिए जिसमें मुझे कभी किसी को कुछ देना ही ना पड़े और हर कोई मुझे हमेशा पैसे दे।’ उसकी आकांक्षा सुनते ही भगवान ने ‘तथास्तु’ कहा और बोले, ‘तुम अब जा सकते हो, मैं तुम्हें बिलकुल ऐसा ही जन्म दूँगा।’


उसके जाते ही भगवान ने दूसरे किसान से पूछा, ‘वत्स तुम भी बताओ कि तुम्हारा यह जीवन कैसा था? तुम्हें अपने इस जीवन में क्या कमी महसूस हुई? अगला जन्म तुम कैसा लेना चाहोगे?’ दूसरे किसान ने हाथ जोड़ते हुए भगवान से कहा, ‘हे भगवान, आपने तो मुझे सब कुछ दिया था। अच्छा परिवार, उनकी आवश्यकताओं को पूर्ण करने लायक़ थोड़ी ज़मीन, आपकी दया से हम सभी कभी भूखे पेट नहीं सोए। बस एक ही कमी थी जीवन में, कई बार ज़रूरतमंद लोग, मदद की अपेक्षा लिए मेरे द्वार पर आए पर मैं ज़्यादातर समय उनकी मदद नहीं कर पाया। पूरी ज़िंदगी में मुझे सिर्फ़ इसी बात का अफ़सोस है।’ इतना कहते-कहते उसकी आँखों में से आंसू बहने लगे। कुछ पलों की चुप्पी के बाद वह ख़ुद को सम्भालते हुए बोला, ‘प्रभु इतना दीजिए, जा में कुटुंब समाये। मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु भी भूखा ना जाए।।’ उसकी बात सुनते ही भगवान मुस्कुराए और बोले, ‘तथास्तु! तुम्हें बिलकुल ऐसा ही जन्म मिलेगा। जाओ अब कभी तुम्हारे द्वार से कभी भी कोई भूखा प्यासा नहीं जाएगा।


कुछ ही दिनों बाद दोनों का जन्म एक बार फिर उसी गाँव में हुआ। बड़ा होने के बाद पहला किसान जिसने भगवान से कहा था कि मुझे चारों ओर से, हर किसी से धन मिले। मुझे कभी किसी को कुछ देना ना पड़े, वह तो गाँव का सबसे बड़ा भिखारी बना। अब उसे कभी किसी को कुछ देना नहीं पड़ता था और हर कोई उसे कुछ ना कुछ देता था। जो भी उसके पास आता था उसकी झोली में पैसे डाल कर जाता था। वहीं दूसरा किसान जिसने भगवान से कहा था कि उसे कुछ नहीं चाहिये सिर्फ़ इसके कि उसके द्वार से कभी कोई भूखा-प्यासा ना जाए, वह गाँव का सबसे अमीर आदमी बन गया।


दोस्तों, अगर आप ध्यान से उपरोक्त दोनों किसानों की सोच और व्यवहार को देखेंगे तो पायेंगे कि जो जीवन से संतुष्ट था और साथ ही जिसमें देने का भाव था, उसे ईश्वर ने अगले जन्म में सब कुछ दिया था और जो सिर्फ़ पाना चाहता था, वह भिखारी बना था। अर्थात् दोस्तों जो तुलनात्मक जीवन जीकर, जो मिला है उससे असंतुष्ट रहते हुए नकारात्मक भाव से जीवन जीता है, वह हमेशा दुखी रहता है। इसके विपरीत जो संतुष्ट रहता है वह सदा सुखी रहता है। इसलिए दोस्तों, अच्छा जीवन जीना है तो अपनी सोच को अच्छा बनाइये, चीज़ों में कमियाँ मत निकालिये बल्कि जो भगवान ने दिया है उसका आनंद लीजिये और हमेशा दूसरों के प्रति सेवा भाव रखिये। याद रखियेगा सब कुछ मिलता भी उसी को है जो देना जानता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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