Nirmal Bhatnagar
कंसिस्टेंट रहें, सफल बनें…
Nov 9, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, नज़रिया वाक़ई आपके जीवन को स्वर्ग या नर्क बना सकता है याने वह बुरी से बुरी स्थिति में भी आपको अच्छाई, तो अच्छी से अच्छी स्थिति में भी बुराई ढूँढ कर दे सकता है। हाल ही मैं मुझे इसका अनुभव एक सज्जन से चर्चा के दौरान हुआ। असल में वे अपने लिखे कुछ लेखों को मुझे दिखाने के लिए लेकर आए थे। वे चाहते थे कि मैं अपने संपर्कों से उन्हें किसी पत्रिका या समाचार पत्रों में छपवा दूँ। वैसे उनकी यह सोच भी ग़लत नहीं थी क्योंकि जीवन मूल्यों से समझौता किए बग़ैर अगर हम एक-दूसरे की मदद से जीवन में आगे बढ़ सकते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन जैसे-जैसे इन सज्जन से बात आगे बढ़ी, मुझे एहसास हुआ कि प्रयास करने के स्थान पर वे मौक़ों के इंतज़ार में बैठना पसंद करते हैं और शॉर्टकट में सफलता और प्रसिद्धि पाना चाहते हैं, लेकिन वे सबको कहते यह हैं कि उन्हें जीवन में पर्याप्त मौक़े नहीं मिले इसलिए वे स्वयं को एक लेखक के तौर पर स्थापित नहीं कर पाए। मैंने उन्हें एक कहानी सुनाने का निर्णय लिया जो इस प्रकार थी-
एक बार एक सिद्ध संत एक किसान की सेवा से बहुत प्रसन्न होकर उसे समझाइश देते हुए बोले, ‘बेटा! अगर जीवन को सफल बनाना है तो तुम कोई नियम लेलो।’ नियम की बात सुन किसान एकदम से बोला, ‘महाराज जी, हम तो किसान हैं। हमें कहाँ इतना समय मिलता है कि कोई नियम ले सकें।’ किसान के सपाट जवाब के बाद भी संत ने एक बार फिर प्रयास करते हुए कहा, ‘चलो, जप या किसी और तरह का नियम लेना मुश्किल है तो तुम रोज़ाना ईश्वर दर्शन का ही नियम ले लो।’ किसान ने इस बार भी मना करते हुए कहा, ‘महाराज जी, हमारे यहाँ का एकमात्र मंदिर गाँव में है और मैं खेत पर रहता हूँ। अब रोज़ काम छोड़कर दर्शन करने जाना उचित होगा?’ संत ने हार मानने के स्थान पर किसान को नियम लेने के कई और उपाय बताए, लेकिन किसान हर बार कोई ना कोई तर्क दे देता। अंत में तो उसने परेशान होकर यहाँ तक कह दिया, ‘महाराज जी, मैं बाल-बच्चों वाला गृहस्थ हूँ, मुझे बच्चों का पालन-पोषण अच्छे से करना है। जिसके लिए खेत पर काम करना आवश्यक है। मैं तुम्हारे समान बाबा नहीं हूँ जो भजन करते हुए अपना जीवन बिता दें।’
किसान के तार्किक जवाब सुन संत मुस्कुराए और बोले, ‘अच्छा तू जो भी रोज़ कर सकता है, उसी का नियम ले ले। किसान बोला महाराज जी मेरे पास में एक कुम्हार रहता है, मेरी उससे अच्छी मित्रता भी है। हमारे खेत भी पास-पास हैं मैं रोज़ाना उसे देखकर ही खाना खाया करूँगा।’ संत ने किसान को आशीर्वाद दिया कि ‘यही नियम तुम्हें पार लगाएगा।’
चूँकि किसान ने यह नियम अपनी इच्छा से लिया था इसलिए वह अब रोज़ाना छत पर चढ़कर कुम्हार को देखता और फिर खाना खाता। एक दिन किसान को जल्दी सुबह कहीं जाना था, इसलिए पत्नी द्वारा थाली लगाने के बाद किसान दौड़ता हुआ छत पर चढ़ा और कुम्हार को देखने का प्रयास करने लगा। जब वह नहीं दिखा तो किसान चिढ़ते हुए कुम्हार को उसके खेत में ढूँढने लगा।
दूसरी ओर कुम्हार उस दिन खेत के निचले हिस्से में गड्ढा खोदने में व्यस्त था। अचानक ही उसे खड्डे में हीरे-जवाहरात से भरा एक मटका मिला। कुम्हार की ख़ुशी का तो अब ठिकाना ही नहीं था। वह उछल-उछल कर नाच रहा था। कुछ देर पश्चात उसे ध्यान आया कि अगर किसी ने उसे हीरे-जवाहरात के साथ देख लिया तो दिक़्क़त हो जाएगी। विचार आते ही वह तुरंत पास के पेड़ पर चढ़ा और आस-पास देखने लगा, तभी किसान वहाँ पहुँच गया। वह कुम्हार को देखते ही ज़ोर से चिल्लाया, ‘देख लिया… देख लिया… देख लिया…’ और पलटकर घर की ओर भागने लगा।
किसान को ऐसा करते देख कुम्हार को लगा कि किसान ने उसके हीरे-जवाहरात के मटके को देख लिया है। वह घबराकर किसान के पीछे चिल्लाते हुए दौड़ने लगा, ‘देख लिया तो आधा तेरा, आधा मेरा, पर किसी से कहना मत!’ । किसान के घर पहुँचने तक कुम्हार ढेर सारी हीरे-जवाहरात लिए उसके घर पहुँच गया और किसान अपने नियम के कारण आज अमीर बन गया।
कहानी पूरी होते ही मैंने उन सज्जन की ओर देखते हुए कहा, ‘ सर, मैं आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि आप बहुत अच्छा लिखते हैं, मुझसे भी कई गुना अच्छा, लेकिन आपको मौक़े नहीं मिले मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ। मेरी नज़र में इसकी मुख्य वजह आपका मौक़ों के इंतज़ार में बैठना है। अगर आप उपरोक्त कहानी वाले किसान के समान रोज़ या सप्ताह अथवा महीने में एक बार लिखने का नियम ले लेते तो गुजरते समय के साथ आपको अपने लेख किसी अच्छी पत्रिका या समाचार पत्र में छपवाने का मौक़ा मिल ही जाता। वैसे ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ है, मैंने कभी रिकॉर्ड बनाने के लिए अपना रेडियो शो नहीं किया, मैं तो बस नियम के अनुसार रोज़ एक शो करता रहा और आज अपने आप ही सेल्फ डेवलपमेंट पर आधारित मेरा रेडियो शो एशिया का सबसे लंबा चलने वाला रेडियो शो बन गया है जो ‘एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में भी रजिस्टर्ड है।’
जी हाँ दोस्तों, सफल होना क़िस्मत का नहीं अपितु सही दिशा में लगातार नियमबद्ध तरीक़े से किए गए प्रयास का परिणाम है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com