सोच, सच्ची लगन और मेहनत से लाएँ बदलाव…
- Nirmal Bhatnagar
- 3 days ago
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June 17, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, हर इंसान चाहता है कि हमारी ज़िंदगी बेहतर हो, हम जीवन में आगे बढ़ें, सफल बनें और कोई ऐसा काम करें जिससे लोग हमें याद रखें। पर रोजमर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियाँ, कुछ मुश्किलें, कुछ उलझनें हमें अपनी राह से भटका देती हैं और हम सोचने लगते हैं कि ‘यह सब मैं नहीं कर सकता हूँ।’ या ‘मेरी क़िस्मत मेरे साथ नहीं है…’ या फिर ‘परिस्थितियाँ मेरे अनुकूल नहीं है…’, ‘मुझे कोई समझता नहीं है…’, ‘कोई मेरा साथ नहीं देता है…’, आदि।
लेकिन दोस्तों, इस दुनिया मैं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उन्हीं चुनौतियों, परेशानियों और स्थितियों के बीच कुछ ऐसा कर जाते हैं या ज़िंदगी में ऐसे मुकाम पर पहुँच जाते हैं, जो सामान्य लोगों की सोच से परे होते है। जानते हैं क्यों? क्योंकि वे जानते हैं दुनिया को बदलने के लिए, पहले ख़ुद को बदलना जरूरी होता है। इसी बात को समझाते हुए जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने कहा है, “समझदार व्यक्ति खुद को दुनिया के अनुसार बदलता है, लेकिन जो जरा हटकर होता है, वह दुनिया को अपने अनुसार बदलने की कोशिश करता है। इसलिए सारा विकास उन्हीं लोगों की वजह से होता है जो दुनिया को बदलना चाहते हैं।”
सुनने में यह बात थोड़ी अजीब और अटपटी सी लगती है, लेकिन हक़ीक़त में यही सच्चाई है। जो लोग “सब कुछ जैसा चल रहा है, वैसा ही रहने दो”, वाली सोच रखते हैं, वे कभी कुछ नया नहीं कर पाते। जबकि जो लोग सोचते हैं कि "मैं कुछ अलग करूंगा", वे ही दुनिया में बदलाव लाते हैं। दोस्तों हम सभी की ज़िंदगी में कोई न कोई सपना और साथ में कोई समस्या ज़रूर होती है। जब हम अपने किसी भी सपने को पूरा करने की कोशिश करते हैं, तो अड़चनें भी हमारे सामने आ ही जाती हैं। लेकिन इन स्थितियों में सिर्फ़ सोचना काफी नहीं होता। अगर आप इन सबसे पार पाना चाहते हैं तो, सोचने के साथ लगन से मेहनत करना आवश्यक होता है। इसी बात को समझाते हुए टोनी रॉबिंस ने कहा है, “समस्याओं को पहचानो, लेकिन अपनी ताकत और ध्यान समाधान पर लगाओ।” अर्थात् जीवन में मुश्किलें तो आएंगी ही, लेकिन अगर हम सिर्फ रोते रहेंगे तो रास्ता नहीं मिलेगा। इसलिए अगर समाधान चाहते हो तो रुको मत, रास्ते को खोजते हुए, चलते रहो।
हो सकता है दोस्तों कि अब आपके मन में प्रश्न आ रहा हो कि यह तो ठीक है, लेकिन हम उस रास्ते पर टिके कैसे रहेंगे? तो मेरा जवाब है अनुशासन से। जी हाँ दोस्तों, प्रेरणा याने मोटिवेशन हमें चलने के लिए तैयार करता है, पर अनुशासन याने डिसिप्लिन हमें लगातार चलते रहने में मदद करता है। अगर हम रोज़-रोज़ नई सोच के भरोसे होंगे, तो कभी भी एक मंज़िल तक नहीं पहुंच पाएंगे। याद रखियेगा, जो लोग अपनी मंजिल को ध्यान में रख कर रोज़ थोड़ा-थोड़ा कर के आगे बढ़ते हैं, वे ही ज़िंदगी में जीतते हैं।
अगर आप भी अपनी ज़िंदगी में जितना चाहते हैं तो बस रॉबर्ट एडम्स की यह बात याद रखिएगा, “आपके भीतर हजारों सूरज की रौशनी है।” याने आप सभी के अंदर वो सारी ताकत है, जो आपको जीवन को पूर्णता के साथ जीने के लिए चाहिए। इस आधार पर देखा जाए तो सफल और आम व्यक्ति में फर्क सिर्फ इतना सा है कि सफल लोग उस क्षमता को पहचानते हैं और असफल लोग नहीं।
तो दोस्तों, अगर आप भी अपनी असीमित क्षमताओं को पहचान कर सफल होना चाहते हैं तो निम्न सामान्य सी लगने वाली बातों को अपने जीवन का हिस्सा बनाइये-
1) दूसरों की नकल करने के बजाय, अपनी राह बनाइए।
2) परेशानियों से भागिए मत, उन्हें हल कीजिए।
3) मोटिवेशन को दिनभर की ज़रूरत मत बनाइए, अनुशासन को आदत बनाइए। और,
4) खुद को छोटा मत समझिए, आपके अंदर कमाल की ताकत है!
बस अंत में इतना याद रखियेगा कि बदलाव की शुरुआत बाहर से नहीं, आपके अंदर से होती है। अगर आप आज एक छोटा कदम उठाएंगे, तो कल बहुत बड़ी ऊंचाई पर होंगे। तो चलिए फिर देर किस बात की है, आज ही से शुरू करते हैं और थोड़ा अलग, थोड़ा बड़ा और सच्चा सोचते हैं और साफ़ नियत और लगन के साथ एक नई शुरुआत करते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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