Sep 27, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आइये आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। कई साल पूर्व एक गाँव में एक बहुत ही ग़रीब किसान रहा करता था। वैसे तो वह बहुत मेहनती था, लेकिन अक्सर इसी उधेड़बुन में रहता था कि अगर किसी तरह कोई खजाना हाथ लग जाए तो क़िस्मत बन जाएगी। एक दिन इन्हीं विचारों में खोया हुआ जब वो अपने खेत पर काम कर रहा तब उसे अपने खेत पर सुनहरी मुर्गी दिखाई दी। किसान उस मुर्गी को देख मंत्रमुग्ध सा हो गया और बिना आहट किए धीमे कदमों से जाकर उसने उसे चुपके से पकड़ लिया। मुर्गी ने किसान से उसे छोड़ देने की विनती करी तो किसान बोला, ‘पहले तुम मुझे अपने बारे में बताओ।’ मुर्गी बोली, ‘मैं सोने का अंडा देने वाली स्वर्ण मुर्गी हूँ।’
मुर्गी का परिचय सुनते ही किसान के मन में लालच जाग गया और वो मन ही मन उस मुर्गी को घर ले जाने के विषय में सोचने लगा। कुछ पलों पश्चात किसान मुर्गी से बोला, ‘क्या तुम मेरे साथ, मेरे घर पर रहोगी?’ इसपर मुर्गी बोली, ‘चूँकि तुम मुझे अपने लालच के लिए ले जा रहे हो इसलिए मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूँगी।’ किसान ने सुनहरी मुर्गी को आश्वस्त किया कि वह उसे परिवार के सदस्य की तरह, परिवार के साथ रखेगा, ताकि सब लोग खुश रह सकें।
किसान की मीठी-मीठी बातों में आकर सुनहरी मुर्गी बोली, ‘ठीक है मैं तुम्हारे साथ रहूँगी लेकिन घर के अंदर नहीं, बाहर बरामदे में और तुम्हें रोज़ मुझे खाने के लिए एक कटोरी अनाज देना होगा।’ किसान ने मुर्गी को इन दोनों बातों के लिए आश्वस्त किया और उसे अपने साथ घर ले आया।
पहले दिन किसान ने मुर्गी को बहुत अच्छे से रखा, जिससे खुश होकर मुर्गी ने सोने का एक अंडा दिया। किसान और उसका परिवार सोने का अंडा देख बहुत खुश हुआ। अब तो यह रोज़ का क़िस्सा बन गया अर्थात् वह मुर्गी किसान से अच्छा अनाज और व्यवहार पा रोज़ एक सोने का अंडा देने लगी। जिसके कारण वह किसान जल्द ही बहुत अमीर बन गया। एक दिन किसान के मन में लालच आ गया और उसने मुर्गी को एक की जगह, दो कटोरी अनाज देना शुरू कर दिया। जिसे देख मुर्गी बोली, ‘तुम मुझे ज्यादा अनाज दे रहे हो, लेकिन मैं तुम्हें ज्यादा सोने के अंडे नहीं दे सकती।’ इस पर किसान बोला, ‘लेकिन मैं चाहता हूँ तुम मुझे प्रतिदिन एक से ज़्यादा सोने के अंडे दो।’
इस पर मुर्गी ने अपनी अक्षमता बताते हुए किसान को अधिक अंडे देने से इनकार कर दिया और किसान से कहा कि वह उसे ज़्यादा अनाज देना बंद कर दे। लेकिन किसान ने मुर्गी की बात को नज़रंदाज़ किया और रोज़ की ही तरह उसे ज़्यादा अनाज देना जारी रखा, जिससे परेशान होकर एक दिन वह सुनहरी मुर्गी हमेशा के लिए वहाँ से चली गई और उसके जाने के बाद किसान को एहसास हुआ कि अपने लालच के कारण उसने अपनी सबसे क़ीमती चीज़ खो दी है।
दोस्तों, इस किसान की ही तरह अक्सर हम लोग लालच में आकर अपनी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सीमाओं को रोज़ नज़रंदाज़ कर अपने जीवन को जीते हैं और जब इसके कारण अपनी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सेहत खो देते हैं तब पछताते हुए अपने बीते हुए कल को याद कर परेशान होते हैं। इसलिए दोस्तों मेरा मानना है कि जीवन में संतोष रख अच्छी शारीरिक और मानसिक सेहत और अच्छे रिश्ते रखना भौतिक सुख-सुविधाओं को कमाने से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है। याद रखियेगा, लालच आपसे आपके जीवन की हर महत्वपूर्ण चीज छीनने की क्षमता रखता है। इसलिए संतोष के साथ जीवन जीना ही आपको हमेशा ख़ुश रख सकता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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