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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

जो छूटे मानो उसका समय पूरा हो गया है…

Oct 29, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, गुरु, संत, महात्मा अकसर बहुत कम शब्दों में, इतनी आसानी से जीवन को बदलने; उसे संवारने वाली बात कह जाते हैं। अगर इशारों में कही गई उनकी बातों को कोई सामान्य इंसान समझ जाए तो वह ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन जी सकता है। अपनी बात को मैं आपको झेन फ़क़ीर बोकोजू के जीवन में घटी एक घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बोकाजू अपने गुरु के आश्रम में रहा करते थे, जहाँ भगवान बुद्ध की एक बहुत ही बहुमूल्य सदियों पुरानी मूर्ति भी रखी हुई थी। बोकाजू के गुरु को उस मूर्ति से बड़ा लगाव था। वे उसे अपने आश्रम की विरासत माना करते थे और रोज़ सुबह-शाम वंदन के समय अपने शिष्यों समेत पुष्प अर्पित किया करते थे।


एक बार बोकाजू को उनके गुरु ने आश्रम की साफ़-सफ़ाई की सेवा दी, जिसे बोकाजू ने गुरु का आदेश और आशीर्वाद माना और तुरंत पूरे मनोयोग के साथ आश्रम की साफ़-सफ़ाई में जुट गए। सफ़ाई के दौरान बोकाजू के हाथ से छूटकर भगवान बुद्ध की मूर्ति ज़मीन पर गिरकर टूट गई, चकनाचूर हो गई। बोकाजू मूर्ति की ऐसी हालात देख एकदम घबरा गए। वे ना सिर्फ़ उस मूर्ति की क़ीमत जानते थे, बल्कि गुरु की नज़र में उसकी अहमियत क्या है, यह भी भली भाँति पहचानते थे। उन्हें पता था कि यह मूर्ति गुरु को उनके गुरु ने और उनके गुरु को उनके गुरु ने दी है। अर्थात् यह सदियों से जायदाद की तरह एक गुरु द्वारा अगली पीढ़ी के गुरु को दी जा रही है। वे सोच में पड़ गये कि यह क्या हो गया?


बोकाजू अभी घबराये हुए इस समस्या का हल खोज ही रहे थे कि अचानक से उनके गुरु वहाँ आ गये। बोकाजू ने तुरंत टूटी हुई मूर्ति को अपने पीछे छुपा लिया और गुरु से प्रश्न करते हुए बोले, ‘गुरुजी, जब कोई आदमी मरता है तो क्यों मरता है?’ गुरुजी पूर्ण गंभीर स्वर में बोले, ‘क्योंकि उसका समय आ गया था।’ जवाब सुनते ही बोकाजू एकदम से बोले, ‘गुरुजी, बुद्ध भगवान की मूर्ति का समय आ गया था।’ बोकाजू की बात सुनते ही गुरुजी खिलखिलाकर हंसे और बोले, ‘जो तू मुझे समझा रहा है, उसे अपने पूरे जीवन याद रखना क्योंकि तेरे जीवन में भी कई बार ऐसा समय आयेगा जब कई मूर्तियों टूटेंगी।’


दोस्तों, बोकाजू कहते थे कि इस बात ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया था और ऐसा होना वाजिब भी था क्योंकि गुरु ने एक घटना को आधार बनाकर बहुत कम शब्दों में पूरे जीवन का मर्म जो समझा दिया था कि इस जीवन में सब कुछ अस्थायी है। अर्थात् जो साधन-संसाधन आपके पास है, उनका समय भी एक दिन आ जाएगा। ठीक इसी तरह जो भी आज आपके पास है या आपके साथ है, जैसे रिश्ते-नाते, यार-दोस्त, परिवार, आपका अपना शरीर आदि सबका समय एक दिन आ जाएगा।


इसलिए दोस्तों, अगर आप खुशहाल और आनंददायक जीवन जीना चाहते हैं, तो आज से इस सूत्र को अपना लें और जब भी कुछ छूट जाए तो ख़ुद को याद दिला लें उसका समय पूरा हो गया है। जैसे, कुछ साथी छूट जायें तो सोचो, अलग होने का समय आ गया था। प्रियजन चल बसे, तो सोचो, उनका समय आ गया था। कोई नाराज हो जाए, तो ख़ुद को याद दिला लो कि प्रसन्नता का समय आ गया था। अर्थात् जो चीज टूट जाए या छूट जाए, उसके लिए सोचो, उसका समय आ गया था। ऐसा करते करते जल्द ही आप पायेंगे कि अब कोई सी भी स्थिति आपको शोकाकुल या दुखी नहीं कर सकती है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com




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