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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

मेहनत का कोई विकल्प नहीं…

Nov 22, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आज की कहानी है तो बड़ी पुरानी। इसे मैंने अपने बचपन में सुना था लेकिन आज जब वापस इसे पढ़ा तो ऐसा लगा मानो यह आज ही के लिए लिखी गई थी। याने आज भी यह कहानी पूरी तरह प्रासंगिक है। तो चलिए शुरू करते हैं-


बात कई साल पुरानी है, गाँव में रहने वाला राजू बेहद ग़रीब और आलसी इंसान था। वह कभी भी, किसी भी तरह की मेहनत नहीं किया करता था। उसका ज्यादातर समय घर में बिस्तर पर पड़े-पड़े ख्याली पुलाव बनाने में ही बीतता था। जैसे वह अपना जीवन भिक्षा माँग कर चलता था, लेकिन उसके बाद भी वह हमेशा अमीर बनने के सपनों को देखा करता था। एक दिन सुबह-सुबह उसे भिक्षा के रूप में दूध से भरा एक घड़ा मिला। जिसे पाकर वह बहुत प्रसन्न हुआ और दूध का घड़ा लेकर घर चला गया। घर जाकर सबसे पहले उसने दूध को उबाला और थोड़ा सा दूध पीकर, बच्चे हुए दूध में थोड़ा सा दही डालकर उसे जमाने के लिए रख दिया।

इतना करते-करते ही राजू को लगने लगा कि आज उसने बहुत सारा काम कर लिया है, इसलिए अब उसे आराम करना चाहिए। विचार आते ही राजू वहीं लेट गया और अपनी आदतानुसार सोते समय दही के विषय में सोचते हुए, ख्याली पुलाव बनाने लगा, ‘अब जब मैं सो कर उठूँगा तब तक दूध का दही जम चुका होगा। फिर मैं उस दही को मथकर उसमें से मक्खन निकालूँगा। फिर मक्खन को गर्म करके मैं उससे घी बनाऊँगा और फिर घी को बाजार में जाकर बेचूँगा और कुछ पैसे कमा लूंगा। उस पैसे से मैं एक मुर्गी खरीदूंगा। मुर्गी अंडे देगी, उन अंडों से बहुत सारे मुर्गे-मुर्गी पैदा होंगे। फिर ये मुर्गियां सैकड़ों अंडे देगी और मेरे पास जल्द ही एक पोल्ट्री फार्म होगा और यह सब करते-करते मैं एक अमीर व्यापारी बन जाऊँगा।’ कुल मिलाकर कहूँ तो वह लेटते ही अपनी कल्पनाओं में खो गया।


वैसे उसकी कल्पना यहाँ रुकी नहीं, वह एक बार फिर अपनी कल्पनाओं के घोड़ों को दौड़ाते हुए सोचने लगा, ‘फिर एक दिन मैं अपनी सारी मुर्गियाँ बेच आऊँगा और फिर मुझे जो पैसा मिलेगा उससे मैं गाय ख़रीद लाऊँगा और फिर शहर में एक दूध डेरी खोलूँगा। फिर शहर के सभी लोग मुझसे दूध खरीदने आएंगे और मैं बहुत जल्दी ही अमीर हो जाऊंगा। फिर मेरी शादी अमीर परिवार की खूबसूरत लड़की से हो जाएगी और जल्द ही मैं एक बहुत ही सुंदर बेटे का पिता बनूँगा। अगर मेरा प्यारा बेटा कोई शरारत करेगा तो मुझे बहुत गुस्सा आएगा और उसे सबक सिखाने के लिए मैं उसे डंडे से मारूंगा।’ यह सोचते-सोचते उसने नींद में ही अपने पास पड़ा डंडा उठाया और ज़ोर से मारने का नाटक करने लगा। इस नाटक के दौरान अचानक ही वह डंडा दूध के बर्तन पर लगा, जिससे वह बर्तन टूट गया और सारा दूध ज़मीन पर फ़ैल गया और साथ ही बर्तन टूटने की आवाज़ सुनते ही उसकी नींद टूटी, और वह उठ कर अपना सिर पकड़ कर बैठ गया।


दोस्तों, मन का काम ही है भटकना और उस भटकन को इच्छा में बदल कर सपनों को जन्म देना। अक्सर हम इन्हीं सपनों के आधार पर जीवन जीने की चाह रखते हैं, लेकिन खाली सपने देखने से सपने पूरे नहीं होते इसलिए सपनों को पूरा करने के लिए की जाने वाली मेहनत के आभाव में यह सपने, सपने ही रह जाते हैं। यकीन मानियेगा, इस जीवन में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता है। अगर आप सपनों वाला जीवन हक़ीक़त में जीना चाहते हैं तो याद रखियेगा उसके लिए आपको कड़ी मेहनत करना होगी। बिना मेहनत के सपनों के पूरे होने की आस रखना मेरी नजर में तो ख़ुद को धोखा देने के समान है। इसलिए दोस्तों, अगर आप वाकई सपनों को पूरा करना चाहते हैं तो हमेशा याद रखें कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है। इसलिए सबसे पहले खुद का 100% देना शुरू कीजिए, फिर देखियेगा सफलता खुद आपके कदम चूमने आएगी!!!


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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