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तथ्यों और ईमानदारी से जीतें ग्राहक का विश्वास…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Sep 13
  • 3 min read

Sep 12, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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दोस्तों, “सफलता प्रतिभा की अपेक्षा दृष्टिकोण पर अधिक निर्भर करती है।” यह मेरे लिए एक प्रेरणादायी वाक्य नहीं, बल्कि जीवन को बदल देने वाला एक सूत्र है।इस बात का एहसास मुझे वर्ष 2007 में उस वक्त हुआ, अच्छा खासा ज्ञान होने के बाद भी मुझे कंप्यूटर हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग के क्षेत्र में आशातीत सफलता नहीं मिली। उस वक्त मेरे गुरु राजेश अग्रवाल सर ने मुझे बताया कि जीवन में सफलता पाने के लिए केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि सोचने का सही दृष्टिकोण होना भी ज़रूरी है।


जी हाँ दोस्तों, अक्सर हम देखते हैं कि लोग तथ्यों याने फैक्ट्स, राय याने ओपिनियन और अज्ञान याने इग्नोरेंस के बीच फर्क करना भूल जाते हैं। यही भूल उनके व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ पेशेवर जीवन को भी प्रभावित करती है। इस बात पर थोड़ा गहराई से चर्चा करने के पूर्व हम तथ्य, राय और अज्ञान के अंतर पर चर्चा कर लेते हैं-

  1. तथ्य याने फैक्ट - केवल वह सूचना है, जिसमें कोई भावना शामिल नहीं होती। जैसे, "सूरज पूर्व से उगता है।"

  2. राय याने ओपिनियन - यह हमारे अनुभव से आकार लेती है। जैसे, "सुबह का सूर्योदय देखने से मन शांत होता है।"

  3. अज्ञान याने इग्नोरेंस - जब ज्ञान के बिना राय बना ली जाती है, उसे अज्ञान कहते हैं

  4. मूर्खता याने स्टूपिडिटी - जब स्पष्ट तथ्यों को जानने के बाद भी उन्हें नकार दिया जाता है, उसे हम मूर्खता कहते हैं।


दोस्तों, व्यावसायिक जीवन में हमें इन चारों स्तरों को समझना और सही चुनाव करना बेहद ज़रूरी है। इसके बिना हमारे लिए प्रोफेशनलिज्म को समझ पाना भी मुश्किल होगा क्योंकि प्रोफेशनलिज़्म केवल काम पूरा करने का नाम नहीं है। इसका लेना-देना तो ईमानदारी याने ऑनेस्टी, सत्यनिष्ठा याने इंटीग्रिटी और ग्राहक के प्रति सच्ची निष्ठा याने लॉयल्टी आदि से है। जब हम किसी उत्पाद या सेवा को बेचते हैं, तो केवल लाभ कमाना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए। ग्राहक का विश्वास जीतना और उनकी संतुष्टि सुनिश्चित करना भी उतना ही आवश्यक है। इसी बात को समझाते हुए एक पुरानी कहावत में कहा गया है, “अच्छी सेल वही है जिसमें ग्राहक संतुष्ट हो और व्यवसाय को लाभ भी मिले।” इसका सीधा-सीधा अर्थ हुआ ग्राहक की खुशी और कंपनी का लाभ, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, विरोधी नहीं।


कॉर्पोरेट दुनिया में टाटा समूह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। टाटा ने हमेशा तथ्यों और ईमानदारी को प्राथमिकता दी है। चाहे वह कर्मचारी कल्याण योजनाएँ हों या ग्राहक संतुष्टि की नीति, टाटा ने यह साबित किया है कि प्रोफेशनलिज़्म का मतलब केवल "प्रॉफिट" नहीं, बल्कि "पीपल और प्रॉफिट" दोनों है। 2008 में जब टाटा नैनो को “सस्ती कार” के रूप में लॉन्च किया गया, तब इसे आलोचना का भी सामना करना पड़ा। लेकिन टाटा समूह का उद्देश्य केवल कार बेचना नहीं था, बल्कि आम भारतीय परिवार को अपनी कार का सपना साकार करना था। मेरी नजर में यह, ग्राहक की ज़रूरतों के प्रति सच्चा सम्मान था।


दोस्तों, आज के दौर में जब 20–25 वर्ष का युवा करियर की शुरुआत करता है, तो अक्सर वह केवल “लाभ” या “पैकेज” पर ध्यान देता है। लेकिन मेरी नजर में यह कैरियर के प्रति सही नजरिया नहीं है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि असली प्रोफेशनल तो वही है जो तथ्यों और राय में फर्क समझे; जो अज्ञान और मूर्खता से बचकर सही निर्णय ले। इतना ही नहीं वो ईमानदारी और पारदर्शिता को अपना कर ग्राहक की संतुष्टि को प्राथमिकता देते हुए व्यवसाय को आगे बढ़ाये।


अंत में दोस्तों निष्कर्ष के रूप में मैं इतना ही कहूँगा कि तथ्यों को मानना, सही राय बनाना और अज्ञान से बचना ही असली बुद्धिमानी है। और जब हम इसे ईमानदारी और प्रोफेशन के प्रति सच्चे भाव के साथ जोड़ते हैं, तो ही आप सच्चे प्रोफेशनलिज़्म के साथ कार्य कर पाते हैं। याद रखिएगा, “ग्राहक संतुष्ट है तो व्यवसाय स्वतः सफल होगा। और यही सफलता दीर्घकाल तक टिकाऊ होती है।”


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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