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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

नियम का प्रभाव…

May 20, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अक्सर लोग कहते हैं कि नियम हमें बांधते हैं, हमारी स्वतंत्रता को खत्म करते हैं। लेकिन हक़ीक़त इसके बिलकुल उलट है दोस्तों, नियम हमें ना तो किसी भी रूप में रोकते हैं और ना ही हमारी स्वतंत्रता को खत्म करते हैं। वो तो बस हमें पतंग की डोर के समान साधे रखते हैं, ताकि हम अपने जीवन में उन असीम ऊँचाइयों को छू सकें, जिसके लिए ईश्वर ने हमें बनाया है। लेकिन कई बार सही नियमों के अभाव में हम कर इसका बिलकुल उल्टा जाते हैं। जैसे कई बार प्रोफेशनल लाइफ़ में मिली सफलता को जीवन की सफलता मान लेना और व्यक्तिगत जीवन को नज़रंदाज़ करते हुए जीना।


ऐसी ही एक और गलती है शारीरिक सुंदरता को आंतरिक सुंदरता से बेहतर मानना। यही वो कारण है, जिसकी वजह से ज़्यादातर लोग बाहरी सुंदरता को लेकर अधिक जागरूक दिखते हैं। वे मानते हैं कि अगर वे सुंदर दिखेंगे तो ही वे अपनी छवि अच्छी बना पाएँगे। ऐसे लोग अपनी आत्मा को सही खुराक देने के स्थान पर अपने रंग-रूप, अपनी काया, अपनी चाल-ढाल, अपने कपड़े आदि पर ज़्यादा ध्यान देते हैं। दोस्तों, मैं बाहरी पहलुओं को बेहतर बनाने के लिए नए तरीक़ों या वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने के ख़िलाफ़ नहीं हूँ। लेकिन मेरा मानना है कि खुद को सही में सुंदर बनाने का यह प्रयास तब तक अधूरा ही रहेगा, जब तक हम अपनी आंतरिक ख़ुशियों को भी सही तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए सम्भाल ना लें।


नियमबद्ध तरीके से जीना हमें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में तालमेल बैठाते हुए इस उद्देश्य की पूर्ति में मदद करता है। अगर आप जीवन को पूर्णता के साथ जीना चाहते हैं, तो याद रखिएगा, सफलता और खुशी जीवन के दो महत्वपूर्ण घटक हैं। दोनों में से किसी एक का ना होना आपके जीवन को अधूरा बना सकता है। इतना ही नहीं मैं तो यहाँ तक कहूँगा कि किसी भी एक का ना मिलना दूसरे के महत्व को घटा देगा।


इसका अर्थ यह नहीं है दोस्तों कि हर पल आपको दोनों याने सफलता और ख़ुशी एक साथ मिलें और आप हर वक्त दोनों पलड़ों को बराबर रख पाएँ। लेकिन अगर आप यह स्वीकार कर जीवन में आगे बढ़ें कि जिस तरह सुख-दुःख एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक उसी तरह सफलता और ख़ुशी भी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अगर आप अपने जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में सामंजस्य बैठाते हुए, नियमबद्ध तरीक़े से आगे बढ़ना शुरू कर दें तो आप पूर्णता के साथ जीने के अपने लक्ष्य को निश्चित तौर पर पा सकते हैं।


जी हाँ दोस्तों, सुख, शांति और सफलता के साथ जीवन को पूर्णता के भाव के साथ जीने के लिए सामंजस्य बनाए रखना ज़रूरी है। और यह तभी हो सकता है जब आप जीवन की प्राथमिकताएँ बनाना सीख जाएँ। इसके लिए आपको परिपक्व सोच को विकसित करना होगा। जिससे आप मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी सही निर्णय ले सकें और अपनी प्राथमिकताओं में संतुलन बनाए रख सकें।


तो आइए दोस्तों, जीवन के हर मोड़ पर, हर स्थिति-परिस्थिति में कामयाब बनने के लिए हम सर्वप्रथम अपने जीवन की प्राथमिकताएँ निश्चित करते हैं और फिर उसके आधार पर जीवन जीने के नियम और जीवन मूल्य तय करते हैं। नियम और जीवन मूल्यों का पता होने के बाद अपने जीवन को नियमबद्ध तरीक़े से जीना आपको सुख, शांति और सफलता तीनों को पाने में मदद करेगा।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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