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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

बच्चों को संसाधन नहीं आपका साथ चाहिए…

May 22, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, निश्चित तौर पर आपने भी कभी ना कभी सुना होगा या कहा भी होगा की आज की पीढ़ी बिगड़ती जा रही है। उनपर अक्सर ग़लत प्राथमिकताओं के आधार पर, मूल्य रहित जीवन जीने का भी दोष लगाया जाता है। ऐसे लोगों से मैं सिर्फ़ एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ, ‘सच बताइए, अगर नई पीढ़ी बिना सही प्राथमिकताओं के जीवन मूल्य रहित जीवन जी रही है, तो इसमें दोष किसका है?’ मेरी नज़र में तो निश्चित तौर पर हमारा क्योंकि उस पीढ़ी को प्राथमिकताएँ बनाना और मूल्य आधारित जीवन जीना सिखाने की ज़िम्मेदारी हमारी थी।


असल में दोस्तों, आज के इस भौतिक युग में जहाँ चीजों का मूल्य व्यक्ति से ज़्यादा आंका जाने लगा है, वहाँ इस तरह की समस्या होना तो स्वाभाविक ही है। उदाहरण के लिए आज के युग में हम पालकों के लिए अपने सपने इतने ज़रूरी हो गए हैं की हम बच्चों को अपना समय देने के स्थान पर, संसाधन देकर बड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। सोच कर देखिएगा, अगर हम माता-पिता या पालक होने के बाद भी संसाधन और साथ के अंतर को नहीं समझ पा रहे हैं, तो बच्चा किस तरह सही जीवन मूल्य सीख पाएगा?


याद रखिएगा, पारिवारिक मूल्य या जीवन मूल्य, बच्चा परिवार के साथ रहकर ही सीख सकता है। अगर आप चाहते हैं की आज की पीढ़ी आपके समान बने, तो आपको उसे उसी तरह का माहौल और साथ देने का प्रयास करना होगा, जैसा, आपके माता-पिता या पालकों ने आपको दिया था। लेकिन बदलते परिवेश में ऐसा कर पाना हर माता-पिता या पालक के लिए आसान नहीं होगा। इसकी वजह इंसान की बदली हुई प्राथमिकताएँ हैं।


इन बदली हुई स्थितियों में अगर आप अपने बच्चे को अच्छा और सफल इंसान बनाने का लक्ष्य पाना चाहते हैं तो आपको संसाधन और साथ के अंत्र को समझना होगा और इस बात को स्वीकारना होगा की कोई भी साधन आपका स्थान नहीं ले सकता है और ना ही बच्चों को जीवन मूल्य या सही बातें सिखा सकता है। दूसरे शब्दों में इसका अर्थ हुआ आपको अपनी प्राथमिकताओं में बच्चों को दिए जाने वाले समय को भी जोड़ना होगा जिससे आप बच्चों को सही बातें सिखा सकें। हो सकता है, आपमें से कुछ लोगों के लिए ऐसा करना व्यवहारिक रूप से मुश्किल हो; आपको ऐसा लगता हो की इतना समय रोज़ निकाल पाना हमारे लिए तो सम्भव नहीं होगा, तो मैं आपको बता दूँ हमें उपरोक्त लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें बच्चों को अधिक नहीं, क्वालिटी समय देना होगा। इसके अतिरिक्त आपको तय करना होगा की आप बच्चों को इस क्वालिटी समय में क्या सिखाना चाहते हैं। जैसे, परिवार का मूल्य सिखाना, प्राथमिकताएँ बनाना, विपरीत समय में अपना सर्वश्रेष्ठ देना, निर्णय लेना, सच बोलना, आर्थिक निर्णय लेना, नैतिकता, इंसानियत आदि।


याद रखिएगा दोस्तों, पेरेंटिंग का लक्ष्य ही बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने के साथ-साथ इस दुनिया को एक बेहतर इंसान देना है। अगर आप इस लक्ष्य में पूरी तरह सफल होंगे तो ही यह दुनिया वैसी बनी रह पाएगी, जैसी आप चाहते हैं। तो आईए दोस्तों आज से ही हम सामाजिक स्तर पर इस विषय में काम करना शुरू करते हैं क्योंकि संस्था के रूप में पेरेंटिंग का विलुप्त होना भी जीवन मूल्यों के गिरने की एक बड़ी वजह है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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