Mar 30, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए साथियों, आज के शो की शुरुआत मैं एक कहानी से करता हूँ। बात कई साल पुरानी है गाँव में ज़ालिम सिंह नाम का एक बहुत ही अहंकारी, अभिमानी, ज़िद्दी और बलशाली किसान रहा करता था। उसे स्वयं पर इतना घमंड था कि वह पूरे गाँव में किसी से भी सीधे मुँह बात नहीं किया करता था। अगर कोई उससे राम-राम भी कर ले तो वह उसमें भी गलती निकाल लोगों से झगड़ा कर लिया करता था। इसी वजह से पूरा गाँव उससे कटा-कटा रहने लगा।
इसी गाँव में भोलू नाम का भी एक हंसमुख, मिलनसार, सीधा-साधा किसान रहा करता था। वह इतना भोला था कि वह खुद को परेशानी में डाल कर भी दूसरों की मदद कर दिया करता था। पूरा गाँव उसकी नम्रता, भोलेपन और दूसरों की मदद करने के नज़रिए और जज़्बे की तारिफ़ किया करता था। इतना ही नहीं गाँव वाले ज़रूरत पड़ने पर भोलू से सलाह-मशविरा भी किया करते थे। गाँव में भोलू के बढ़ते प्रभाव को देख ज़ालिम सिंह, भोलू से मन-ही-मन चिढ़ने लगा और कई बार वह सार्वजनिक रूप से उसके विरुद्ध अनर्गल बातें प्रचारित करने लगा। एक दिन गाँव में ऐसी ही एक घटना घटी जिसमें ज़ालिम सिंह ने भोलू के ख़िलाफ़ काफ़ी भला-बुरा कहा। गाँव वालों ने जब उक्त घटना के विषय में भोलू को बताया तो उसने मुस्कुराते हुए कहा, ‘जिस दिन ज़ालिम सिंह ने मेरे समक्ष ग़लत कार्य किया या मुझसे झगड़ा किया तो देखना मैं उसे मार डालूँगा।’ भोलू की बात सुन वहाँ मौजूद अन्य सभी लोग हंस पड़े क्योंकि वे जानते थे कि भोलू बहुत ही सीधा-सादा, दयालु क़िस्म का व्यक्ति है। वह किसी को मारना तो दूर, अपशब्द भी नहीं कह पाएगा। लेकिन जल्द ही यह बात ज़ालिम सिंह को पता चल गई और वह भोलू से झगड़ने के बहाने ढूँढने लगा।
इसी परिपेक्ष में एक दिन ज़ालिम सिंह ने भोलू के खेत में अपने जानवर चरने के लिए छोड़ दिए, जिससे भोलू को काफ़ी नुक़सान हुआ। लेकिन उसने ज़ालिम सिंह से झगड़ा करने के स्थान पर उसके जानवरों को अपने खेत से हांक कर बाहर खदेड़ दिया। अगले दिन ज़ालिम सिंह ने भोलू के खेत में पानी देने वाली नाली को तोड़ दिया। लेकिन इस बार भी भोलू ने ज़ालिम सिंह से लड़ने या उसे कुछ कहने के स्थान पर चुपचाप पानी देने वाली नाली को ठीक कर दिया। एक बार भोलू के आम के बगीचे में बहुत अच्छे आम लगे। भोलू ने सभी गाँव वालों के यहाँ अपने बगीचे के आम उपहार स्वरूप भिजवाए। जब वह आम ज़ालिम सिंह के घर पहुंचे तो उन्होंने उसे लेने से इनकार करते हुए भोलू को भला-बुरा कहते हुए कहा कि वह कोई भिखमंगा नहीं है, जो दूसरों के दान पर निर्भर हो।
जैसे-जैसे ज़ालिम सिंह का रूखा व्यवहार बढ़ता था, वैसे-वैसे ही भोलू उसके प्रति अधिक सम्मान और प्यार दर्शाता जाता था। भोलू के इस अप्रत्याक्षित और अजीब से व्यवहार को देख गाँव वाले भी आश्चर्यचकित थे। वे अब लगभग रोज़ ही उससे पूछने लगे थे कि तुम ज़ालिम सिंह को कब मारने वाले हो? प्रश्न सुन भोलू मुस्कुराते हुए सिर्फ़ इतना ही कहता था, ‘जल्द ही।’ एक दिन ज़ालिम सिंह अपनी फसल बेचने बैलगाड़ी से पास ही के शहर गया। फसल बेच मिले पैसों से ज़ालिम सिंह ने काफ़ी क़ीमती सामान और अनाज ख़रीदा और अपनी बैलगाड़ी पर लाद, गाँव लौटने लगा। उस दिन गाँव में काफ़ी बरसात हुई। कच्चे और कीचड़ भरे रास्ते से गुजरते समय ज़ालिम सिंह की बैलगाड़ी वहाँ फँस गई। ज़ालिम सिंह ने काफ़ी प्रयास करा लेकिन उसके बैल कमजोर होने के कारण उसे सफलता नहीं मिली।
कुछ ही देर में यह खबर गाँव में पहुँच गई। हर कोई जालिम सिंह के फँसे होने की खबर का मज़ाक़ बना रहा था। कोई कह रहा था, ‘दुष्ट को उसके किए का परिणाम मिल रहा है।’ तो कोई ओर कह रहा था, ‘मज़ा आएगा आज उसको रात भर कीचड़ में ही फँसा रहने दो।’ लेकिन जैसे ही यह बात भोलू को पता लगी उसने अपने ताकतवर बैलों को साथ लिया और ज़ालिम सिंह की मदद के लिए चल दिया। रास्ते में भोलू को कुछ गाँव वालों ने रोका और याद दिलाते हुए कहा, ‘तुम तो ज़ालिम सिंह को मारने वाले थे, आज उसे बचाने क्यों जा रहे हो?’ गाँव वालों की बात सुन भोलू हंसा और बोला, ‘देखना आज मैं ज़ालिम सिंह को मार ही दूँगा।’
जैसे ही ज़ालिम सिंह ने भोलू को अपने ताकतवर बैल मदद के लिए लाते देखा तो जोर से बोला, ‘तुम अपने बैल लेकर लौट जाओ। मुझे किसी की सहायता नहीं चाहिए।’ ज़ालिम सिंह की बात सुन भोलू मुस्कुराया और बोला, ‘आज मैं तुम्हारी सुनने वाला नहीं हूँ। तुम्हारे मन में आए तो मुझे गाली दो और मन मैं आए तो मुझे मारो। इस समय तुम संकट में हो, तुम्हारी गाड़ी कीचड़ में फँसी है, रात भी हो रही है और बरसात भी आ रही है। ऐसे में तुम्हें यहाँ फँसा छोड़ना सम्भव नहीं है। इसलिए मैं तुम्हारी बात नहीं मान सकता।’ इतना कहकर भोलू ने ज़ालिम सिंह के बैलों की जगह अपने ताकतवर बैलों को बैलगाड़ी में जोता और उसे हांक कर ज़ालिम सिंह की गाड़ी को कीचड़ से बाहर निकाल दिया। उस दिन विपत्ति में भोलू से मिली मदद के कारण ज़ालिम सिंह बड़ी परेशानी से बच गया और उसका दुष्ट स्वभाव पूरी तरह बदल गया और वह स्वयं लोगों से कहने लगा, ‘भोलू के उपकार, उसके प्यार भरे स्वभाव ने मुझे मार ही दिया।’
दोस्तों, उक्त कहानी मुझे कल उस वक्त याद आई जब किसी कार्य से मुझे उज्जैन के समीप ही एक गाँव में किसी के यहाँ मिलने जाना पड़ा। उनके घर में एक दरवाज़े पर टिन की चद्दर ठुकी देख मैं हैरान था। जब मैंने इस विषय में उनसे बात करी तो पता चला कि दोनों भाइयों में विवाद होने के कारण उन्होंने चद्दर ठोक कर घर को दो भागों में बाँट लिया है। उस वक्त मैं सोच रहा था कि दोनों भाइयों में से अगर किसी एक ने भी भोलू का फ़ॉर्म्युला अपनाया होता तो शायद आज यह विभाजन नहीं हुआ होता। सोच कर देखिएगा साथियों!!!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर