सबसे शक्तिशाली जवाब है मौन…
- Nirmal Bhatnagar

- 4 hours ago
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Nov 14, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन में कई बार आपका सामना ऐसे लोगों से होता है जो आपके सच्चे प्यार, सच्चे मन, दिल के सच्चे भाव की कद्र नहीं करते हैं। वे आपके द्वारा सच्चे मन से कही गई बात का अर्थ भी अपने व्यक्तिगत लाभ या हानि के आधार पर तौलते हैं और आपकी भावनाओं की कद्र नहीं करते हैं। निश्चित तौर पर ऐसी स्थिति अत्यधिक पीड़ा देती है। हालाँकि अत्यधिक पीड़ा के बाद भी आप बार-बार उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं, पर उनका जवाब केवल उदासी, व्यर्थ तर्क या तिरस्कार के रूप में मिलता है। ऐसे लोगों को दिया जाने वाला सबसे बेहतरीन उत्तर दोस्तों मौन है क्योंकि मौन कभी हारता नहीं है। इसलिए मौन को परिपक्वता की पराकाष्ठा माना जाता है।
जी हाँ दोस्तों, जब आपके शब्दों की कीमत न रहे, तब मौन सबसे अच्छा उत्तर बन जाता है। हाँ यह सही है कि हर शब्द की अपनी ऊर्जा होती है, पर जब कोई व्यक्ति उस ऊर्जा की कद्र नहीं करता, तो उसे और शब्द देना वैसा ही है जैसे मरे हुए पौधे को बार-बार पानी देना। मौन के विषय में तो मेरा मानना है कि यह वो शक्ति है जो आपको इस बात का एहसास करवाती है कि “मैंने ख़ुद को प्राथमिकता देना; ख़ुद को सम्मान देना शुरू कर दिया है, इसलिए अब मैं व्यर्थ की बहस में अपनी ऊर्जा बर्बाद नहीं करता हूँ।”
याद रखियेगा दोस्तों, जहाँ समझने की इच्छा न हो, वहाँ शब्द भी बेमानी हो जाते हैं। इसलिए हमें अपने स्वाभिमान और आत्मसम्मान को बनाए रखने के लिए मौन की शक्ति को समझना होगा और इसके लिए सबसे पहले स्वीकारना होगा कि मौन कमजोरी की निशानी नहीं है। यह तो आत्म-नियंत्रण की उच्च अवस्था है। इसी बात को समझाते हुए महात्मा बुद्ध ने कहा था “मौन सबसे शक्तिशाली उत्तर है। जब आप चुप रहते हैं, तो सामने वाला अपने ही शब्दों में उलझ जाता है।” आइए अब हम मौन के अन्य लाभों पर चर्चा कर लेते हैं-
पहला लाभ - सच्चा मौन किसी के प्रति द्वेष नहीं रखता
दोस्तों, सच्चा मौन किसी के प्रति द्वेष नहीं रखता, वह बस यह तय करता है कि “अब मैं अपनी शांति की रक्षा करूँगा।” मौन वहाँ शुरू होता है जहाँ तर्क समाप्त हो जाता है, जहाँ आप भीतर से यह स्वीकार कर लेते हैं कि हर किसी से आपको समझ पाने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
दूसरा लाभ - मौन से आत्म-सम्मान का जन्म होता है
दोस्तों, जब आप मौन चुनते हैं, तब आप अपनी आत्मा को सम्मान देते हैं। आप अपने अंतर्मन को बता रहे होते हैं कि “मैं अपनी ऊर्जा उन लोगों, विचारों और रिश्तों में लगाऊँगा जहाँ समझ, प्रेम और आदर है।” इस विचार के साथ बने रहना आत्मसम्मान बढ़ाता है।
तीसरा लाभ - मौन परिपक्वता की निशानी है
दोस्तों, मौन आपकी परिपक्वता को दर्शाता है, यह बताता है कि आपने “सही होने” से ज़्यादा “शांत रहने” को चुन लिया है।
चौथा लाभ - मौन का अर्थ पलायन नहीं
दोस्तों, मौन का अर्थ कभी भी हार मान लेना या पलायन करना नहीं है। यह तो इस बात की निशानी है कि आपने अपनी प्राथमिकता अनुसार जीना सीख लिया है; याने आपने अपने जीवन की दिशा चुन ली है। याद रखियेगा, मौन हार नहीं, बुद्धिमानी का संकेत है क्योंकि हर लड़ाई लड़ने के लिए नहीं होती, कुछ बस यह सिखाने के लिए होती हैं कि कई बार पीछे हट जाना ही सबसे बड़ी जीत होती है।
पाँचवाँ लाभ - मौन आपको भीतर से मज़बूत बनाता है
दोस्तों, मौन आपको अपने अंतर्मन की आवाज़ को सुनना सिखाता है — याने यह आपको उस आवाज़ को पहचानने में मदद करता है, जो शब्दों से कहीं ज़्यादा सच्ची होती है।
अंत में इतना ही कहूँगा दोस्तों कि इस दुनिया में हर किसी में आपकी बात समझने की क्षमता नहीं होती और हर लड़ाई, हर तर्क या अपने मत को हर बार समझाना आवश्यक नहीं है। कभी-कभी “कुछ न कहना” ही बुद्धिमानी से भरा सबसे अच्छा उत्तर होता है। याद रखिएगा, “Silence is not emptiness; it’s full of answers.” याने मौन में वह गहराई है जो शब्दों में नहीं होती इसलिए मौन ही आपकी असली शक्ति है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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