असफलता ही सफलता का रास्ता है…
- Nirmal Bhatnagar
- 3 days ago
- 2 min read
Sep 1, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

जीवन एक लंबी यात्रा है, जिसमें कभी जीत होती है, तो कभी हार। अक्सर हम असफलता को अपनी कमजोरी मान लेते हैं और खुद को कोसने लगते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि असफलता जीवन का एक अहम हिस्सा है, और इसके बिना सफलता अधूरी है। आगे बढ़ने से पहले मैं आपको यह और बता दूँ कि मैं यह अपने जीवन के आज तक के अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ।
जब कोई बच्चा चलना सीखता है तो सबसे पहले गिरता है। लेकिन अगर वह हर बार गिरने पर खुद को दोष देने लगे और चलने की कोशिश ही छोड़ दे, तो क्या वह कभी चल पाएगा? बिल्कुल नहीं। गिरना ही उसे सिखाता है कि संतुलन कैसे बनाए रखना है। उसी तरह, जीवन में मिलने वाली असफलताएँ हमें रास्ता दिखाती हैं कि अगली बार किस तरह बेहतर करना है। इसलिए असफलता पर आलोचना नहीं, बल्कि आभार व्यक्त करना चाहिए, क्योंकि यह हमें नया सीखने का अवसर देती है।
जीवन किसी का इंतज़ार नहीं करता। समय कभी नहीं रुकता कि हम ठीक हो जाएँ, दुख से बाहर निकल आएँ या भय से मुक्त हो जाएँ। जीवन कहता है, “उठो, अपना बोझ सम्भालो और आगे बढ़ते रहो।” यही बढ़ते रहने का जज़्बा हमें मंज़िल तक पहुँचाता है। और इस यात्रा में सबसे ज़रूरी है ईश्वर पर विश्वास रखना। जब हम विश्वास के साथ चलते हैं, तो हमें भरोसा होता है कि चाहे रास्ता कठिन हो, मंज़िल तक पहुँचने की शक्ति हमें भीतर से मिलती रहेगी।
गिरना हमेशा नुकसान नहीं होता। कई बार यही गिरना हमें अप्रत्याशित ऊँचाई तक ले जाता है। सोचिए, अगर थॉमस एडीसन हर असफल प्रयोग के बाद रुक जाते, तो शायद आज हमारे पास बल्ब न होता। उन्होंने अपनी असफलताओं को हार नहीं, बल्कि सीख माना और अंततः दुनिया को रोशनी दी। इसीलिए कहा जाता है कि गिरना हार नहीं है, गिरकर न उठना ही असली हार है।
हमारे डर और असुरक्षाएँ अक्सर वास्तविक नहीं होतीं। वे हमारी कल्पनाओं और सोच की उपज होती हैं। हम मान लेते हैं कि हम असफल होंगे, लोग हमारा मज़ाक उड़ाएँगे, या हम आगे नहीं बढ़ पाएँगे। लेकिन सच तो यह है कि ये सब डर हमारी मानसिक रचनाएँ हैं, जो वास्तव में मौजूद ही नहीं होतीं। अगर हम अपने भीतर विश्वास जगाएँ और डर से परे कदम बढ़ाएँ, तो हम पाएँगे कि हमारी सीमाएँ वास्तव में उतनी बड़ी नहीं थीं जितनी हमने मान ली थीं।
इसलिए, जीवन का मंत्र यही है—
१) असफलता को दोष मत दो, उसे सीख की तरह अपनाओ।
२) समय का इंतज़ार मत करो, बल्कि अपने बोझ के साथ ही आगे बढ़ते रहो।
३) हर गिरावट को नए अवसर की तरह देखो।
४) सबसे महत्वपूर्ण, अपने बनाए हुए डर और भ्रम से बाहर निकलो।
याद रखिए, जीवन उन लोगों को जीत का स्वाद चखाता है जो हार से घबराते नहीं, बल्कि उसे सीढ़ी बनाकर ऊपर उठते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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