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समस्याओं के स्थान पर संभावनाओं को देखें…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 2 days ago
  • 3 min read

Sep 3, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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आइए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, एक समृद्ध राज्य में एक साथ तीन विपत्तियाँ आई। पहली, राज्य के एक गांव में भयानक बाढ़, दूसरी, राज्य के दूसरे हिस्से में भीषण सूखा और तीसरी, पूरे इलाके में एक कुख्यात डाकू का आतंक। इन विपत्तियों से परेशान होकर जब उस राज्य में रहने वाले लोग पलायन करने लगे, तब एक बूढ़े संत ने इस समस्या का अनूठा समाधान सुझाते हुए कहा, “तुम लोग कहीं मत जाओ और मुझ पर विश्वास रखो, मैं बहुत जल्द तुम्हारी समस्याओं को तुम्हारी सबसे बड़ी संपत्ति बना दूंगा।”


संत की बातों ने इलाक़े में रहने वाले लोगों पर मानो जादू कर दिया, जिसके कारण लोगों ने पलायन करने के स्थान पर संत का साथ देने का निर्णय लिया। अगले कदम के रूप में संत डाकू के पास गए और उसे जीवन बदल देने वाला प्रस्ताव देते हुए बोले, “तुम इस क्षेत्र के हर गुप्त रास्ते और छुपे संसाधन को जानते हो। हमारे साथ मिलकर गांव को फिर से बसाने में मदद करो। इससे तुम्हें मान-सम्मान के साथ चोरी से कहीं ज्यादा धन कमाने का मौका मिलेगा।”


डाकू भी संत की बातों से प्रभावित हुआ और ग्रामीणों के साथ मिलकर बाढ़ के पानी को सूखे खेतों तक पहुँचाने के लिए नहर खुदवाने में मदद करने लगा। बीतते समय के साथ डाकू, इस चुनौती और ग्रामीणों के अप्रत्याशित भरोसे से प्रभावित हुआ और उसने जल प्रबंधन परियोजना का नेतृत्व करना शुरू कर दिया। कुछ ही महीनों में पूरे राज्य का कायाकल्प हो गया। पूर्व डाकू अब उस राज्य का सुरक्षा प्रमुख था, बाढ़ का पानी सूखे इलाके के खेतों को हरा-भरा बना रहा था। कुल मिलाकर कहूँ तो सूखे ने उन्हें जल संरक्षण की तकनीक सिखाई और उन्होंने बाढ़ के बहते पानी को दिशा देकर अपने लिए लाभप्रद बना लिया, जिससे वो राज्य उस इलाके का सबसे समृद्ध क्षेत्र बन गया।


इस कहानी से दोस्तों हम जीवन बदलने वाले तीन सिद्धांत सीख सकते हैं-

1) याद रखें हर संकट में अवसर छुपा होता है, हमेशा उसे पहचानने का प्रयास करें जिससे समस्याओं को समाधान में बदला जा सके। जैसे उपरोक्त कहानी में बाढ़ केवल विनाश नहीं, सूखे की दवा भी थी। डाकू केवल खतरा नहीं, बल्कि क्षेत्रीय विशेषज्ञ भी था।

2) समस्याओं के स्थान पर संभावनाओं को देखें। जैसे, संत ने डाकू में वे नेतृत्व गुण देखे जो दूसरों की नज़रों से छूट गए थे। याद रखियेगा, महान नेता कठिन लोगों और परिस्थितियों में छुपी क्षमताओं को पहचानते हैं।

3) खंडों में नहीं, समग्रता में सोचें। जैसे बुजुर्ग संत ने पानी, लोग, संसाधन, समय आदि सभी के बीच संबंध को समझा और विपत्ति को अवसर में बदला।


दोस्तों, आज के आधुनिक युग में भी उपरोक्त सीखें हमारे जीवन को सही दिशा दे सकती हैं। जैसे, व्यापार में उथल-पुथल के दौर में या संसाधन की कमी अथवा प्रतिस्पर्धी ख़तरे में आप ख़ुद से पूछ सकते हैं कि “ये चुनौतियां कैसे प्रतिस्पर्धी लाभ बन सकती हैं?” इसी तरह अगर आप नेतृत्व कर रहे हैं तो आप कठिन टीम सदस्यों को उनकी अनूठी शक्तियों के हिसाब से भूमिकाएं देकर, लाभ ले सकते हैं।


याद रखियेगा, सबसे बड़ी सफलताएं अक्सर असंबंधित लगने वाले तत्वों को जोड़ने से मिलती हैं। इसके लिए अपरंपरागत समाधान पर भरोसा करना होगा क्योंकि प्रगति के लिए, दूरदर्शिता और अनिश्चितता के बावजूद उस पर अमल करने की इच्छा की आवश्यकता होती है। दोस्तों जीवन में आगे बढ़ना है तो “हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?” पूछने के स्थान पर, “इसका उपयोग करके हम कैसे मजबूत बन सकते हैं?”, पूछना शुरू कीजिए। याद रखिएगा, सबसे बड़ी विजय वही है जो दुश्मन को मित्र बनाकर, समस्या को समाधान बनाकर, और कमजोरी को ताकत बनाकर हासिल की जाए।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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