ख़ुशी है हमारे पास ही…
- Nirmal Bhatnagar

- 53 minutes ago
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Dec 13, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन में सामान्यतः सारी भागदौड़ खुशियों को पाने या तलाशने के लिए होती है क्योंकि अक्सर हम ख़ुशियों को सफलता, पैसों या फिर रिश्तों से जोड़ कर देखते हैं। हमें लगता है कि इन चीजों के माध्यम से हम अपनी ख़ुशियों को पा सकते हैं। जैसे, खुशी कोई दूर छिपा हुआ खजाना है, जिसे कुछ लक्ष्यों को पाने के बाद ही पाया जा सकता है और साथ ही जिसके लिए हमें लंबी यात्रा करना होती है।
लेकिन दोस्तों, सच्चाई इससे बिल्कुल उलट होती है, खुशी हमेशा हमारे आसपास होती है, बस हम रुककर उसे महसूस नहीं करते। जी हाँ दोस्तों, बहुत से लोग अपनी खुशियों से सिर्फ़ इसलिए वंचित रह जाते हैं, क्योंकि वे मान कर चलते हैं कि ख़ुशियाँ उनके आसपास नहीं हैं याने वे अपनी खुशियों को विशेष परिस्थितियों या चीजों से जोड़कर चलते हैं और उसी के ज़रिए इसे पाने का प्रयास करते हैं।
यकीन मानियेगा दोस्तों, खुशी हासिल करने की नहीं, महसूस करने की चीज़ है। अक्सर हम सोचते हैं कि जब बड़ा घर होगा, जब लाखों की कमाई होगी, जब सब कुछ परफेक्ट होगा, तभी हम खुश रह पायेंगे। लेकिन जीवन कभी परफेक्ट होता ही नहीं है। इसलिए जो इंसान “परफेक्ट खुशी” का इंतज़ार करता रहता है, वह जीवन की छोटी खुशियों को हमेशा के लिए खो देता है। याने जो खुशियाँ रोज़ उसके दरवाज़े पर दस्तक देती हैं, वह उन्हें पहचान ही नहीं पाता है। जैसे संसाधनों के एवज में वो एक बच्चे की हँसी में, सुबह की पहली चाय में, शांत साँस में, अपनों के हल्के स्पर्श में या पुराने दोस्त के एक फ़ोन कॉल में मिलने वाली ख़ुशी को पहचान ही नहीं पाता है। दोस्तों, खुशी होती तो हमेशा पास ही है, बस हम उसे देखने या महसूस करने के लिए रुक नहीं पाते हैं।
दोस्तों, हमारी सबसे बड़ी समस्या ही यही है कि हम हमेशा आगे भागते रहते हैं और सोचते हैं कि “ये मिल जाए तो अच्छा…”, “वो पाकर ही खुश होंगे…”, “थोड़ा और… थोड़ा और…” और इसी ‘थोड़ा और’ में पूरी जिंदगी गुजर जाती है। याने हम वर्तमान को जीने, उसका आनन्द लेने के बजाय भविष्य की चिंता में खोए रहते हैं। लेकिन याद रखिएगा, भविष्य हमेशा आज के रूप में आता है या फिर हमेशा “कल” ही रहता है और जहाँ तक ख़ुशियों का सवाल है, वह हमेशा “आज” में रहती हैं।
इसलिए मैं हमेशा खुशी को महसूस करने की कला मानता हूँ। दूसरे शब्दों में कहूँ तो, खुश रहना कोई जादू नहीं, यह एक अभ्यास है। अगर आप भी इस अभ्यास को अपना कर ख़ुशहाल जीवन जीना चाहते हैं तो हर दिन कुछ क्षण ऐसे निकालें जब आप अपने फ़ोन, अपनी चिंताओं, अपनी परेशानियों को दूर रख, अपने वर्तमान को महसूस कर सकें। जीवन जीने की यह शैली आपको वर्तमान से जोड़ कर, आपका परिचय उसकी सुंदरता; उसके महत्व से कराएगी। यकीन मानियेगा दोस्तों, अगर आप रोज़ 5 मिनट भी सचमुच मुस्कुराने, महसूस करने और कृतज्ञ होने में लगाएँ, तो जीवन का अनुभव ही बदल जाता है।
इसलिए ही कहा जाता है खुशी पहले से मौजूद है, आपको बस उसे पहचानना है। इसलिए ही मैं सभी को एक बात हमेशा याद रखने के लिए कहता हूँ, खुशी जीवन में जोड़ने की चीज़ नहीं है, बल्कि जीवन से हटाई गई अनावश्यक चिंताओं के बाद बची हुई चीज़ है। हम चिंता, तुलना, दौड़, अवसाद और अपेक्षाएँ हटाते जाएँ, तो भीतर खुशी स्वाभाविक रूप से चमकने लगती है।
इसलिए दोस्तों, अगर खुश रहना चाहते हैं तो जीवन में थोड़ा ठहराव लाइए याने हर क्षण में रुकिए, उसे महसूस कीजिए, मुस्कुराइए और अपनी छोटी-छोटी खुशियों को दिल से अपनाइए। साथ ही हमेशा याद रखिए खुशी कहीं बाहर नहीं मिलती, वह हमेशा हमारे पास ही थी, बस उसे महसूस करने के लिए हमारे पास ही फुर्सत नहीं होती।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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