top of page
Search

सकारात्मक संगति से ही संभव है सच्चा विकास…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 4 days ago
  • 3 min read

Nov 3, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

ree

दोस्तों, मेरी नजर में यह मानना कि “सिर्फ़ मेहनत करके सफलता पाई जा सकती है।” आंशिक रूप से ग़लत है या यूँ कहूँ अधूरा है। मेरी नजर में बाक़ी सभी बातों से ज़्यादा ज़रूरी अच्छी संगति का होना है और मैं यह बात आपको अपने अनुभव से बता रहा हूँ। मैंने एक व्यवसायी और एक ट्रेनर दोनों रूपों में देखा है कि हम उसी दिशा में बढ़ते हैं, जिस दिशा में हमारे आस-पास के लोग हमें धकेलते या खींचते हैं। इसीलिए कहा गया है, “आप जिन पाँच लोगों के साथ ज़्यादा समय बिताते हैं, वैसे ही बन जाते हैं।” इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि अगर आप के आस-पास नकारात्मक या शिकायत करने वाले लोग हैं, जो हर वक्त दूसरों की कमियाँ निकालते हैं, तो आप चाहकर भी उत्साही नहीं रह सकते। इसके विपरीत अगर आप सकारात्मक, उम्मीदों से भरे, प्रेरणादायी लोगों के बीच रहते हैं तो आप तमाम चुनौतियों के बाद भी ऊर्जावान और उम्मीद से भरा जीवन जी सकते हैं। आपके भीतर भी रोशनी जग जाती है। इसीलिए कहा गया है, “कभी भी उस जगह मत जाइए जहाँ लोग आपको “सहन” करते हैं। बल्कि वहाँ जाइए जहाँ लोग आपके आने का “इंतज़ार” करते हैं।


चलिए, एक सच्ची कहानी से अपनी बात को समझाने का प्रयास करता हूँ। राहुल नाम का एक बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति रहता था। जिस कार्यालय में वह नौकरी करता था, वहाँ सभी लोग एक दूसरे की आलोचना किया करते थे और छोटी-मोटी बातों पर एक-दूसरे का मजाक उड़ाया करते थे और कभी कोई किसी भी कार्य में सफल हो जाए तो, उसे उसका भाग्य बता दिया जाता था। इन सभी कारणों से राहुल हमेशा हताश और निराश रहने लगा और इसी वजह से उसका आत्मविश्वास ख़त्म सा हो गया था। इसी वजह से एक दिन राहुल ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया और नौकरी बदल ली। उसके नए कार्यालय का माहौल एक दूसरे को ऊपर उठाने वाला था। अगर कोई गलती कर भी देता था तो बाक़ी लोग हँसी उड़ाने के स्थान पर साथ बैठ कर समस्या का हल खोजा करते थे। जहाँ हर नए विचार को “पागलपन” नहीं, बल्कि “संभावना” माना जाता था। इस वजह से मात्र छह महीने में ही निराशा और हताशा से भरा राहुल, अब आत्मविश्वास से लबरेज़, हमेशा मुस्कुराने वाला इंसान बन गया और हमेशा दूसरों को प्रेरित करने लगा। असल में वह समझ गया था कि असली बदलाव तभी आता है जब आप अपने माहौल को बदलने का साहस करते हैं।


दोस्तों, यह कहानी सिर्फ़ राहुल की नहीं, बल्कि हम सबकी है। कभी-कभी हम भी ऐसे लोगों के बीच रह जाते हैं जो हमें “सहन” करते हैं; छोटी-छोटी बातों पर हमारी हँसी उड़ाते हैं और बीतते समय के साथ हमारे सपनों को चुरा लेते है; हमारी सकारात्मक ऊर्जा को खा जाते हैं। दोस्तों, ऐसे माहौल में कोई भी अपने असली रूप में खिल नहीं सकता है। इसलिए तेज भागते इस जीवन में एक बार ठहरकर सोचिए कि आप किन पाँच लोगों के बीच में ज़्यादा रहते हैं? वे आपको ऊपर उठाते हैं या नीचे गिराते हैं? वे आपकी हिम्मत बढ़ाते हैं या आपका विश्वास तोड़ते हैं? और अगर इन सभी सवालों का जवाब आपको ‘ना’ में मिल रहा है तो सचेत हो जाइए और अपनी संगति बदल डालिये।


दोस्तों, जीवन बहुत छोटा है। इसे उन लोगों के बीच बिताइए जो आपके सपनों का मजाक नहीं उड़ाते, बल्कि उन्हें सच करने में साथ देते हैं। जो आपकी गलतियों पर नहीं, आपकी कोशिशों पर ध्यान देते हैं। जो आपकी पीठ के पीछे नहीं, आपके साथ खड़े होते हैं। जो आपको गिराकर नहीं, सम्भालकर आगे बढ़ाते हैं। हर दिन ऐसे लोगों से मिलिए, जो आपके भीतर उम्मीद जगाएँ, ऊर्जा भरें, और आपको अपने बेहतर रूप की ओर ले जाएँ। यही लोग आपके जीवन की दिशा तय करेंगे।


कुल मिलाकर कहूँ दोस्तों, तो अपना समय, अपनी संगति और अपनी शांति, तीनों को पवित्र रखिए और हमेशा याद रखें, जो लोग आपके आसपास हैं, वे ही तय करते हैं कि आप नीचे गिरेंगे या ऊँचाई पर उड़ेंगे। इसलिए अपने जीवन में ऐसे लोगों को जगह दीजिए जो आपकी आत्मा को हल्का करें, न कि भारी। जो आपकी हिम्मत बढ़ाएँ, न कि छीन लें क्योंकि सच्चा विकास हमेशा सकारात्मक संगति में ही संभव है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

Comments


bottom of page