सच्चा सुख कहीं दूर नहीं…
- Nirmal Bhatnagar

- 2 days ago
- 3 min read
Nov 5, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन की राह एकदम सीधी नहीं है। इसमें ऊँच-नीच, उतार-चढ़ाव, अच्छा-बुरा होना एकदम सामान्य है। यहाँ कभी सब कुछ हमारी योजना के अनुसार होता है, तो कभी हालात हमें परखने लगते हैं। कुल मिलाकर कहा जाये तो उतार-चढ़ाव हमारे जीवन का हिस्सा है और इन सबके बीच ख़ुद को शांत और संतुष्ट रखना ही जीवन की सच्ची कला है। आप यह कला तब ही सीख सकते हैं जब आप यह स्वीकार लें कि जीवन का हर चरण, हर अनुभव हमें कुछ नया सिखाने आता है।
दूसरे शब्दों में कहूँ तो, सफलता हमें सिखाती है कि मेहनत का फल कितना मधुर होता है, और असफलता हमें इस बात का एहसास कराती है कि अहम नहीं, धैर्य और सीख जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है। इसलिए दोस्तों, मुश्किल या विषम परिस्थितियों या असफलता के दौर में ख़ुद को शांत बनाए रखने के लिए सबसे आवश्यक सीखने के नजरिये को बरकरार रखना है। इसलिए जब भी जीवन मुश्किल लगे, खुद से पूछिए, “मैं इस स्थिति से क्या सीख सकता हूँ?”
यकीन मानियेगा दोस्तों, साधारण सा यह सवाल आपके दृष्टिकोण को बदल देगा और तब आपको कठिनाइयाँ दुश्मन नहीं लगेंगी, बल्कि वे आपके भीतर छिपी ताकत को जगाने का माध्यम बन जाएँगी। यह स्थिति आपको विषम परिस्थितियों में भी संभावनाओं को खोजने में मदद करेगी क्योंकि संभावनाएँ हमारे चारों ओर हो सकती है और दूसरी बात विपरीत परिस्थिति में मदद कहीं से भी आ सकती है, अनजान से भी। जी हाँ दोस्तों, अक्सर हम सोचते हैं कि हमारी मदद सिर्फ हमारे अपने लोग करेंगे। पर सच्चाई यह है कि कभी-कभी ब्रह्मांड हमारे लिए नए रास्ते बनाता है, और उन पर अनजान लोग हमारी सहायता के लिए खड़े हो जाते हैं और फिर कोई अजनबी मुस्कान, किसी अनजान का प्रेरणादायी शब्द, या किसी राहगीर की दयालुता, हमारा जीवन बदल देती है। दोस्तों, यही तो इस जीवन का जादू है। चलिए इसी बात को मैं आपको एक छोटी सी कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ-
एक बार बाज़ार जाते वक्त एक महिला अचानक पैर फिसलने के कारण सड़क पर गिर गई, जिसकी वजह से उसके पैर में चोट लग गई। इस विपरीत स्थिति में तो उसके अपने जान-पहचान वाले लोग तो आसपास नहीं थे, पर उसकी मुश्किल को भांप एक रिक्शा चालक दौड़कर आया, उसे अस्पताल पहुँचाया, और पूरी रात वहीं रुका रहा। उस दिन उस महिला ने महसूस किया कि ईश्वर हमेशा मदद के लिए आते हैं, बस रूप बदलकर।
इसलिए दोस्तों, जब विषम परिस्थितियों में हो और बाहरी मदद की आवश्यकता महसूस कर रहे हो, तो ईश्वर पर भरोसा रखो और ख़ुद को याद दिलाओ, “सहारा वहीं से मिलेगा, जहाँ से आप सोच भी नहीं सकते।” इस अनजान मदद को पाने के लिए बस आपको वर्तमान में जीना सीखना होगा। अन्यथा मदद के लिए भेजे गए विशेष दूत या यूँ कहूँ आप ईश्वरीय मदद को ही नहीं पहचान पायेंगे। इस बात को समझाते हुए वियतनाम के बौद्ध संत थिक न्यात हान ने कहा था, “वर्तमान क्षण में आनंद और खुशी भरी है। यदि आप सजग हैं, तो ही आप इसे देख पाएँगे।” जी हाँ दोस्तों, सामान्यतः हम अक्सर बीते हुए कल में उलझे रहते हैं या आने वाले कल की चिंता करते हैं और ऐसे समय में भूल जाते हैं कि असली जीवन तो आज में है। याद रखियेगा जीवन की छोटी-छोटी बातों के साथ वर्तमान में मौजूद रहना ही जीवन की असली सुंदरता है। जब आप सुबह की चाय की खुशबू महसूस करते हैं, बच्चे की हँसी सुनते हैं, या किसी की आँखों में स्नेह देखते हैं, तब आप एहसास करते हैं कि इस क्षण जीवन अपनी पूरी सुंदरता के साथ मौजूद है।
अंत में इतना ही कहूँगा कि जीवन की लहरें कभी ऊँची होंगी, कभी नीची, पर जो व्यक्ति इन लहरों पर शांत मन से तैरना सीख लेता है, वही असली कलाकार है। दोस्तों, हर अनुभव को एक नया अध्याय मानिए, हर अजनबी को संभावित आशीर्वाद समझिए, और हर दिन को एक नया अवसर बनाइए क्योंकि सच्चा सुख कहीं दूर नहीं, बल्कि वह इसी क्षण, इसी साँस में, आपके भीतर छिपा है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




Comments