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अमर होना हो तो अमाप चीजों के साथ जिएँ…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Oct 3
  • 3 min read

Oct 3, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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दोस्तों, आइए आज के लेख की शुरुआत गुरुनानक देव जी के जीवन से जुड़े एक किस्से से करते हैं। गुरुनानक देव जी जब लाहौर में ठहरे, तो वहाँ के सबसे बड़े धनवान सेठ दुनीचंद उनसे मिलने पहुँचे। उस समय रिवाज था कि जिसके पास एक करोड़ रुपया हो, वह अपने घर पर एक झंडा लगाए। लेकिन सेठ दूनीचंद ने अपने घर पर कई झंडे लगा रखे थे, जिसका अर्थ था, उनके पास अपार संपत्ति है।


गुरुनानक देव से मुलाकात के दौरान सामान्य बातचीत के बाद सेठ बड़ी विनम्रता के साथ बोले, “प्रभु! मुझे भी सेवा का अवसर दीजिए।” उनकी बात सुन गुरुनानक जी ने मुस्कुराते हुए अपनी जेब से एक छोटी-सी सुई निकाली और सेठ को देते हुए बोले, “इसे सम्भाल कर रखना और मरने के बाद मुझे लौटा देना।” सेठ ने बिना सोचे-समझे गुरुनानक जी से सुई ले ली और घर लौटने लगे। रास्ते में उन्हें अचानक ही ख्याल आया, “मरने के बाद मैं यह सुई कैसे लौटा पाऊँगा? क्या मैं इसे अपने साथ ले जा सकता हूँ?”


इस विचार ने उन्हें इतना उलझा दिया की वे गुरुनानक देव जी के पास वापस आए और हाथ जोड़कर बोले, “महाराज, यह संभव नहीं। मृत्यु के बाद तो हम कुछ भी साथ नहीं ले जा सकते।” गुरुनानक जी मुस्कुराते हुए बोले,“यही सिखाना था। जब एक सुई भी साथ नहीं ले जा सकते, तो तुम्हारी करोड़ों की संपत्ति लेकर क्या होगा? असली अमीरी धन में नहीं, बल्कि उन गुणों में है जो मृत्यु के पार भी जीवित रहते हैं।”


दोस्तों, गुरुनानक देव जी की यह कथा हमें जीवन का बड़ा सबक सिखाते हुए बताती है कि हमारी सांसारिक संपत्ति चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, वह अस्थायी है। याने पैसा, घर, नाम, पद आदि जिन भी चीजों को मापा जा सकता है, वह सब समय के साथ अपने आप ही मिट जाना है। मृत्यु के उस पार केवल अमाप बातें ही जा सकती हैं, जैसे, हमारे कर्म, हमारी सेवा, हमारा प्रेम और हमारी भक्ति। इस आधार पर कहा जाए तो सही जीवन जीने के तीन प्रमुख सूत्र होते हैं-


1. धन का अहंकार क्षणभंगुर है

सेठ दुनीचंद को लगा कि उसकी अकूत संपत्ति ही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। लेकिन एक छोटी-सी सुई ने उसे याद दिला दिया कि मृत्यु के सामने सब कुछ तुच्छ है। हम चाहे कितने भी झंडे गाड़ लें, अंततः हाथ खाली ही रहेंगे।


2. अच्छे कर्म ही आपका सच्चा निवेश है

बैंक बैलेंस, कोठी, गाड़ियाँ आदि सब यहीं रह जाएँगे। पर किसी भूखे को खिलाया हुआ निवाला, किसी दुखी के चेहरे पर लाई मुस्कान और किसी के जीवन को छू लेने वाला दया भाव हमारे साथ जायेगा याने यही हमारी असली पूँजी है। यही हमें मृत्यु के पार भी अमर बनाती है।


3. अमाप की खोज ही धर्म है

गुरुनानक जी के संदेश से स्पष्ट है कि संसार में दो तरह के लोग होते हैं। पहले वे जो केवल मापने योग्य चीजों याने धन, संपत्ति, शक्ति आदि की खोज में रहते हैं और दूसरे वे जो अमाप याने प्रेम, करुणा, सत्य, ईश्वर आदि की खोज करते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो पहले लोग संसारी हैं, दूसरे लोग सच्चे आध्यात्मिक साधक।


दोस्तों, कुल मिलाकर कहा जाए तो जीवन का सबसे बड़ा सत्य यह है कि जो मापा जा सकता है, वह नष्ट हो जाएगा। जैसे पर्वत, तारे, सूर्य, धन, संपदा आदि। लेकिन प्रेम, करुणा, और भक्ति जैसी अमाप शक्तियाँ कभी नष्ट नहीं होंगी। इसलिए हमेशा अमाप चीजों के साथ जीना ही दूसरों के दिलों में अमिट छाप छोड़कर, आपको अमर बना सकता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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