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इंसान को उसकी आदतों से नहीं कर्मों से परखो…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 3 days ago
  • 3 min read

Oct 12, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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दोस्तों, सामान्यतः हम सब दूसरों को देखते ही तुरंत धारणा या राय बना लेते हैं। जैसे किसी की चाल-ढाल को देख या किसी की बोलचाल या फिर आदतों को देख तुरंत उसके विषय में धारणा या राय बना लेते हैं कि ‘फ़लाँ व्यक्ति अच्छा इंसान है…’ या ‘ये तो बिगड़ा हुआ है…’ लेकिन दोस्तों मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि ज़िंदगी का सच इससे कहीं गहरा होता है। चलिए अपनी बात को मैं आपको तीन नामचीन लोगों के जीवन से समझाने का प्रयास करता हूँ।


पहले सज्जन मिस्टर ए राजनीति में बड़ी दिलचस्पी रखते थे और इसी वजह से उनकी दोस्ती बुरे नेताओं से थी। वे अक्सर हर छोटी-बड़ी बातों के लिए ज्योतिषीय सहायता लेते थे और उन्होंने दो शादियाँ की थी। इतना ही नहीं मिस्टर ए चेन स्मोकर भी थे और अक्सर दिन में आठ से दस बार शराब पीते थे।


दूसरे सज्जन मिस्टर बी को दो बार नौकरी से निकाला गया था क्योंकि दोपहर तक सोते रहने की अपनी आदत के कारण वे कभी समय पर कार्य नहीं कर पाते थे। इतना ही नहीं कॉलेज के दिनों में उन्हें अफ़ीम लेने और रोज़ शाम को व्हिस्की पीने की आदत थी।


तीसरे सज्जन मिस्टर सी बड़े पारिवारिक व्यक्ति होने के साथ एक बहादुर सैनिक थे। वे अपनी पत्नी के प्रति हमेशा वफ़ादार रहे। इतना ही नहीं पूर्णतः शाकाहारी होने के साथ ही उन्होंने ना तो कभी सिगरेट पी और ना ही शराब। इसके साथ ही उन्हें पेंटिंग का भी शौक था।


अब जरा सोचिए और इस प्रश्न का जवाब दीजिए कि इन तीनों में से सबसे अच्छा इंसान कौन होगा? आप में से ज्यादातर लोगों का मत होगा, मिस्टर सी। सही कहा ना मैंने? लेकिन दोस्तों, सच्चाई जान कर आप हैरान रह जाएँगे। मिस्टर ए, आगे चलकर अमेरिका के महान राष्ट्रपति बने, जिन्हें हम फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट के नाम से जानते हैं। इसी तरह मिस्टर बी ब्रिटेन के ऐतिहासिक प्रधानमंत्री श्री विंस्टन चर्चिल थे और मिस्टर सी, जिन्हें ज्यादातर लोगों ने सबसे अच्छा इंसान बताया था, इतिहास के सबसे क्रूर शासक बने, जिन्हें हम एडोल्फ हिटलर के रूप में जानते हैं, जिन्होंने छह मिलियन यूरोपीय यहूदियों की हत्या की थी।


दोस्तों, उपरोक्त तीनों लोगों के जीवन हमें एक गहरी सीख देते है, “हमें किसी भी इंसान को उसकी आदतों या दिखावे से नहीं अपितु उसके कर्मों से परखना चाहिए।” जी हाँ दोस्तों, दिखावे से सच्चाई हमेशा अलग होती है। अक्सर जो बाहर से परफेक्ट लगता है, वो अंदर से टूटा हुआ हो सकता है, और जो बाहर से उलझा हुआ दिखता है, वो अंदर से मज़बूत और सच्चा हो सकता है। याने कौन अंदर से टूटा हुआ है और कौन अंदर से मजबूत है, ये हम नहीं जानते हैं।


दोस्तों, उबलते पानी में डाला गया अंडा सख्त हो जाता है और आलू मुलायम। याने पानी एक ही था, अंडे और आलू की स्थिति में फर्क सिर्फ़ उनके स्वभाव की वजह से आया। इसी तरह, सभी की ज़िंदगी में मुश्किलें आती हैं, पर ये इंसान के चरित्र पर निर्भर करता है कि कौन उससे सीखेगा और कौन उसकी वजह से टूट जाएगा। तो दोस्तों, अगली बार जब आप किसी को देखें, तो उसे तुरंत “अच्छा” या “बुरा” मत कहें। बस इतना याद रखें कि हर इंसान की अपनी लड़ाई है — कोई मुस्कुराकर लड़ रहा है, तो कोई चुपचाप भीतर से। हमें लोगों को जो जैसा है, वैसा ही स्वीकारना सीखना होगा क्योंकि सच्ची इंसानियत दूसरों को जज करने में नहीं, बल्कि समझने और अपनाने में है।



दोस्तों, इस दुनिया में हर इंसान अधूरा है, उसमें अच्छाई भी है तो बुराई भी। हमें जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकारना सीखना होगा क्योंकि ज़िंदगी की ख़ूबसूरती तब बढ़ती है, जब हम दूसरों को उनकी कमियों समेत अपनाना सीख जाते हैं। याद रखियेगा, हर इंसान अधूरा है, पर उसकी एक अच्छाई पूरी दुनिया बदल सकती है!


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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