क्षमा से अतीत नहीं भविष्य बदलता है !!!
- Nirmal Bhatnagar

- 12 minutes ago
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Dec 27, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, हम सभी ने अपने जीवन में कभी-ना-कभी किसी अपने से, किसी साथी से चोट खाई है। कभी यह चोट शब्दों की होती है, तो कभी व्यवहार से, और कई बार तो अपनेपन के नाम पर। ऐसे सभी पलों में मिले दर्द का असर अक्सर बहुत गहरा, भीतर तक बैठ जाने वाला होता है और इसका असर सिर्फ़ उस क्षण तक नहीं, बल्कि लंबे समय तक रहता है जो बीतते समय के साथ हमारी सोच, हमारे रिश्ते और हमारे भविष्य को प्रभावित करने लगता है। ऐसे दौर में अक्सर हम सोचते हैं कि, “जो हुआ वो पूरी तरह ग़लत था और इसके लिए मैं ज़िम्मेदार भी नहीं था। फिर मैं उसे माफ़ कैसे कर दूँ?” या “वह गलत था। उसने मेरा भरोसा तोड़ा। ऐसे में उसे माफ करना संभव नहीं है।” दोस्तों, यह सोच सामने वाले को नहीं बल्कि हमें ख़ुद को ही नुक़सान पहुंचाती है। आप स्वयं सोचिए सामने वाले के लिए नकारात्मक भाव रखना क्या अतीत को बदल सकता है या आपके ज़ख़्मों को ठीक कर सकता है? नहीं ना।
दोस्तों, यकीन मानियेगा, इस गहरी सच्चाई को समझना हमारे जीवन को बदल सकता है क्योंकि जब आप क्षमा करते हैं, तो आप अतीत को नहीं, बल्कि अपने भविष्य को बदलते हैं। आइए 5 बिंदुओं में इसे थोड़ा और गहराई से समझते हैं-
1. क्षमा दूसरे के लिए नहीं, आपके लिए होती है
दोस्तों, हम अक्सर यह भ्रम पाल लेते हैं कि माफ़ करना सामने वाले को आज़ाद कर देना है, जबकि सच इसके ठीक उलट है। माफ़ न करना, आपको उसी दर्द से बाँधे रखता है, जिसने आपको चोट दी थी। क्रोध, कड़वाहट और बदले की भावना एक ऐसी ज़ंजीर बन जाती है जो आपको आगे बढ़ने नहीं देती। क्षमा उस ज़ंजीर को तोड़ने का नाम है। दूसरे शब्दों में कहूँ, तो सामने वाले को माफ करना असल में यह कहने का साहस है, “मैं अपने भविष्य को तेरे बीते हुए व्यवहार के हाथों गिरवी नहीं रखूँगा।”
2. दर्द यदि समझ में आ जाए, तो शिक्षक बन जाता है
दोस्तों, जैसे सबसे सुंदर इंद्रधनुष तेज़ बारिश के बाद दिखाई देते हैं, वैसे ही जीवन के सबसे गहरे सबक दर्द से ही जन्म लेते हैं। दर्द हमें तोड़ने नहीं, जगाने आता है। वह हमें सिखाता है कि किस पर भरोसा करना है; वह हमें बताता है कि अपनी सीमाएँ कहाँ खींचनी हैं और साथ ही वह हमें अपनी सही क़ीमत का भी एहसास करवाता है। याद रखिएगा, जो इंसान दर्द से भागता है, वह बार-बार वही चोट खाता है और जो इंसान दर्द को समझ लेता है, वह उससे निखार कर; बुद्धिमान बनकर निकलता है।
3. क्षमा कमजोरी नहीं, परिपक्वता है
दोस्तों, बहुत लोग मानते हैं कि माफ़ कर देना कमजोरी है। जबकि असलियत में माफ़ कर पाना सबसे बड़ी मानसिक शक्ति है। यह स्वीकार करना कि “हाँ, मुझे चोट लगी थी” और फिर भी आगे बढ़ जाना, परिपक्वता है। क्षमा का अर्थ यह नहीं कि जो हुआ, वह सही था। क्षमा का अर्थ है, अब उस घटना का आपके जीवन में कोई महत्व नहीं है और आपका आने वाला कल इस घटना के प्रभाव से मुक्त है।
4. भविष्य उसी का उजला होता है जो हल्का होकर चलता है
दोस्तों, दिल में बोझ लिए चलना वाक़ई थकाने वाला; ऊर्जा खत्म करने वाला होता है। आप इससे फ्री होने का कितना ही प्रयास क्यों ना करें यह आपको थका ही देता है। लेकिन जिसने माफ़ करना सीख लिया, जिसने बीते कल का भार छोड़ दिया, वह भविष्य की ओर खुले मन और साफ़ दृष्टि से बढ़ता है। याद रखिएगा, क्षमा आपको शांत और स्पष्ट बनाकर, अनावश्यक भीतरी भार से मुक्त करती है।
5. अपने आप से एक प्रश्न पूछिए
दोस्तों, इस तरह के दर्द से मुक्त होने का एक तरीका ख़ुद से प्रश्न करना है। प्रश्न आपको ख़ुद को इवैल्यूएट करने का मौक़ा देते हैं। जैसे बीते हुए कल के प्रभाव को जानने के लिए आप ख़ुद से पूछ सकते हैं, “क्या मैं किसी पुराने दर्द को ढो रहा हूँ?”, क्या किसी की गलती आज भी मेरे फैसलों को प्रभावित कर रही है?, क्या मैं अतीत की वजह से वर्तमान खो रहा हूँ? अगर आपको इन प्रश्नों का जवाब ‘हाँ’ में मिल रहा है तो समझ जाइए कि सामने वाले को क्षमा करने का समय आ गया है।
दोस्तों, अंत में इतना याद दिलाऊँगा कि जीवन खुल कर जीना है तो दर्द से सीखिए, क्षमा से आगे बढ़िए और स्वीकारिये कि अतीत बदला नहीं जा सकता, लेकिन भविष्य हर क्षण आपके हाथ में होता है। इसलिए दर्द को दबाइए मत, उससे सीखिए और क्षमा को टालिए मत, उससे मुक्त होइए क्योंकि जब आप माफ़ करते हैं, तब आप सिर्फ किसी और को नहीं, खुद को भी आज़ाद करते हैं और यही आज़ादी आपके जीवन का सबसे सुंदर इंद्रधनुष बन जाती है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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