ज्ञान ही नहीं, इंसानियत का भाव भी बढ़ाएँ !!!
- Nirmal Bhatnagar

- 3 days ago
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Dec 25, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, यकीन मानियेगा आज का इंसान पहले से कहीं अधिक जानता है। आज हमारे पास जानकारी है, डेटा है, तर्क है, डिग्रियाँ हैं, तकनीक है। हम याददाश्त तेज़ कर रहे हैं, स्किल्स बढ़ा रहे हैं और सोच को बेहतर या यूँ कहूँ शार्प बना रहे हैं। लेकिन इस सब के पीछे एक गहरी सच्चाई और छिपी हुई है, हम बाहरी सभी चीजों को तो बढ़ा रहे हैं, लेकिन कहीं ना कहीं ख़ुद से दूर होते जा रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो हमें बाहरी दुनिया का तो पूरा ज्ञान है, लेकिन हम अपनी क्षमता, अपने अंतर्मन, आदि से दूर होते जा रहे हैं। इसलिए कहा जाता है ज्ञान बढ़ना और इंसान का बढ़ना, दो अलग बातें हैं। आइए, छह बिंदुओं में इसे थोड़ा गहराई से समझने का प्रयास करते हैं
1. बुद्धि का विकास और जीवन का विकास दो अलग बातें हैं
दोस्तों, बुद्धि आपको सही साबित करना सिखाती है, पर समझदार बनना नहीं सिखाती। इससे आप बहस जीत सकते हैं, पर संबंध हार सकते हैं। इसी तरह आप तथ्य याद रख सकते हैं, पर भावनाएँ खो सकते हैं। इसीलिए आज हमें अपने आस-पास कई ‘स्मार्ट’ लेकिन भीतर से असंतुष्ट लोग मिल जाते हैं। मेरी नजर में इसकी मुख्य वजह ख़ुद को बाहरी तौर पर चमकाना है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो इन्होंने शिक्षा के ज़रिए अपने दिमाग को तो पॉलिश कर लिया है, लेकिन कहीं ना कहीं अपने दिल को छूने से वंचित रह गए हैं।
2. जानकारी आपको तेज़ बनाती है और संवेदना आपको गहरा
दोस्तों, जानकारियाँ जमा करने से हम तेज़ प्रतिक्रिया देना सीखते हैं। लेकिन संवेदना हमें ठहराव के साथ जीना सिखाती है। तेज़ इंसान तुरंत जवाब देता है, गहरा इंसान पहले समझता है। याद रखियेगा, जब दिल बड़ा नहीं होता, तो बुद्धि अकसर घमंड बन जाती है और घमंड किसी भी रिश्ते को धीरे-धीरे खोखला कर देता है।
3. जीवन तब बढ़ता है जब दिल बड़ा होता है
दोस्तों, जीवन में सच्ची प्रगति तब होती है, जब हम दूसरों का दर्द महसूस करना सीखते हैं। जब हम सिर्फ “मैं सही हूँ” से आगे बढ़कर “तू कैसा महसूस कर रहा है” पूछते हैं, तब हम इंसान के रूप में अपना क़द बढ़ाते हैं। याद रखिएगा, करुणा इंसान को कमजोर नहीं, विशाल बनाती है। इसलिए ही कहते हैं, जहाँ बुद्धि दीवार बनाती है, वहीं करुणा पुल बनाती है।
4. प्रेम और करुणा के बिना ज्ञान अधूरा है
दोस्तों, ज्ञान बिना प्रेम के सिर्फ़ एक औज़ार बन जाता है, जिसमें भावनाएँ नहीं होती। इसी तरह प्रेम बिना ज्ञान के अंधा हो सकता है। लेकिन जब दोनों मिलते हैं, तब इंसान न केवल सफल होता है, बल्कि उपयोगी भी बनता है। इसलिए आज के युग में दुनिया को और ज्ञानी नहीं बल्कि दिल वाले लोग चाहिए।
5. खुद से ईमानदार सवाल पूछिए
दोस्तों, दुनिया से मिली राय के आधार पर जीने के स्थान पर ख़ुद से प्रश्न कीजिए। उदाहरण के लिए आप ख़ुद से पूछ सकते हैं-
क्या मैं समझदार हो रहा हूँ या सिर्फ़ होशियार?
क्या मैं सही साबित होने में लगा हूँ या रिश्ते निभाने में?
क्या मेरा ज्ञान किसी का बोझ कम कर रहा है?
अगर आपको उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर “ना” में मिल रहे है, तो समझ जाइयेगा कि जीवन में दिशा बदलने का समय आ गया है।
6. दिल बड़ा कीजिए, जीवन अपने आप बड़ा हो जायेगा
दोस्तों, जब आप करुणा से बोलते हैं, तो शब्द दवा बन जाते हैं। जब आप प्रेम से देखते हैं, तो लोग अपने आप आपसे खुलने लगते हैं। याने दिल बड़ा करने से आपका असर बढ़ता है, आपकी उपस्थिति अर्थपूर्ण बनती है, और आपका जीवन दूसरों के लिए रोशनी बन जाता है।
अंत में निष्कर्ष के तौर पर इतना ही कहूँगा कि इंसान बनने की असली परीक्षा स्कूल और कॉलेज में नहीं होती। वहाँ की तैयारी से स्मृति बढ़ सकती है, ज्ञान बढ़ सकता है, तर्क बढ़ सकता है - पर यह सब आपको बड़ा इंसान नहीं बनाता। इंसान तो तब बड़ा होता है, जब उसका हृदय बड़ा होता है। इसलिए आज से एक निर्णय लीजिए और दिमाग के साथ-साथ दिल को भी बढ़ाना शुरू कीजिए क्योंकि अंत में लोग आपकी बुद्धि नहीं, आपकी इंसानियत याद रखते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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