विवेक ही जीवन को सही दिशा देता है !!!
- Nirmal Bhatnagar

- 2 days ago
- 3 min read
Dec 26, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, वर्तमान दौर में इन्फ़ॉर्मेशन को इकट्ठा कर ख़ुद को ज्ञानी दिखाना बड़ा आसान है क्योंकि आज के ज्ञान के इस युग में जानकारी हर जगह याने आप किताबों, इंटरनेट, वीडियो, कोर्सेज़ आदि कहीं से भी इन्फ़ॉर्मेशन इकट्ठा कर सकते हैं। इसलिए हम पहले से कहीं ज़्यादा जानते हैं, ज़्यादा सीखते हैं, ज़्यादा डेटा इकट्ठा करते हैं। लेकिन फिर भी एक सवाल बना रहता है, इतना जानने के बाद भी हम गलत फैसले क्यों ले लेते हैं? मेरी नजर में इस सवाल का जवाब बहुत सरल है, जानकारी याने इन्फ़ॉर्मेशन या ज्ञान और विवेक एक चीज़ नहीं हैं।
अब आप सोच रहे होंगे ज्ञान क्या है, और विवेक क्या है? दोस्तों, ज्ञान मूलतः जानकारी है। तथ्य, आँकड़े, सिद्धांत, अनुभव, आदि। याने जो हम सीखते और याद रखते हैं, वही ज्ञान है। लेकिन विवेक वह क्षमता है जो तय करती है कि इस ज्ञान का कब, कहाँ और कैसे उपयोग करना है। ज्ञान बताता है क्या संभव है और विवेक बताता है क्या उचित है। यही कारण है कि एक व्यक्ति बहुत पढ़ा-लिखा होकर भी गलत रास्ता चुन सकता है, और दूसरा कम पढ़ा होकर भी संतुलित और सही निर्णय ले सकता है।
इस आधार पर कहा जाए तो ज्ञान बिना विवेक के बोझ बन जाता है। याने जब ज्ञान विवेक से जुड़ा नहीं होता, तो वह अहंकार बन सकता है। ऐसा इंसान हर समय सही साबित होना चाहता है, लेकिन सही करना भूल जाता है। वह दूसरों की बात को इसलिए नहीं सुनता क्योंकि उसे लगता है, “मुझे पहले से सब पता है।” लेकिन यही सोच उसे नई बातों को सीखने से वंचित कर देती है। याद रखियेगा, ज्ञान जितना बड़ा होता है, विनम्रता उतनी ही ज़रूरी हो जाती है।
दोस्तों, विवेक वाला इंसान हर व्यक्ति से सीखता है क्योंकि वो जानता है कि इस दुनिया में कोई भी इंसान व्यर्थ नहीं है। वह जानता है कि कोई आपको धैर्य सिखा सकता है, तो कोई आपका परिचय आपकी कमियों से करा सकता है, तो कोई आपके लिए उदाहरण बन, प्रेरणा का स्रोत बन सकता है; सिखा सकता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। याद रखियेगा, विवेक यह नहीं पूछता कि “यह व्यक्ति कितना पढ़ा है?”, वह पूछता है कि “मैं इससे क्या सीख सकता हूँ?” यही सोच इंसान को लगातार बेहतर बनाती है।
दोस्तों, सही निर्णय ले पाना ही जीवन की असली सफलता है। जी हाँ, सही सुना आपने, सफलता केवल लक्ष्य पाने में नहीं है, सफलता सही निर्णय लेने में है। जैसे, कब बोलना है और कब चुप रहना है, कब आगे बढ़ना है और कब रुकना है और किस पर भरोसा करना है और किससे दूरी रखनी है। ये निर्णय ज्ञान से नहीं, विवेक से लिए जाते हैं और यही निर्णय जीवन की दिशा तय करते हैं।
उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर कहा जाए तो विवेक अनुभव और आत्मचिंतन से विकसित होता है। याने विवेक कोई किताब पढ़कर नहीं आता। यह आता है, अनुभव से, गलतियों से, आत्मचिंतन से, और दूसरों की बात सुनने की आदत से। जो व्यक्ति सीखने को तैयार रहता है, वही वास्तव में विवेकवान या बुद्धिमान बन पाता है।
दोस्तों, अगर आप भी विवेकवान बनना चाहते हैं तो आज खुद से कुछ ईमानदार सवाल पूछिए-
१) क्या मैं सिर्फ़ जान रहा हूँ या समझ भी रहा हूँ?
२) क्या मेरा ज्ञान मेरे रिश्तों को बेहतर बना रहा है?
३) क्या मेरे फैसले दूसरों को भी सशक्त कर रहे हैं?
और यदि आपका जवाब “नहीं” आ रहा है, तो समझ जाइयेगा कि अब ज्ञान को विवेक में बदलने का समय आ गया है।
अंत में निष्कर्ष के तौर पर इतना ही कहूँगा कि ज्ञान जानकारी है, विवेक जीवन है। ज्ञान आपको सक्षम बनाता है, लेकिन विवेक आपको सही इंसान बनाता है और जो व्यक्ति हर इंसान से कुछ न कुछ सीखने को तैयार रहता है, वह जीवन में कभी कहीं रुकता नहीं— न सीखने में, न बढ़ने में, न जीवन को ऊँचाई देने में। दोस्तों, ज्ञान जमा कीजिए, लेकिन विवेक से जीना सीखिए क्योंकि जीवन सही फैसलों से बनता है, सिर्फ़ सही जानकारी से नहीं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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