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जिएँ जीवन उत्सव की तरह…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 1d
  • 3 min read

Oct 26, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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अभी-अभी हमने पूरे उत्साह और हर्षोल्लास के साथ दीपावली का पाँच दिवसीय पर्व मनाया है, धनतेरस से शुरू होकर भाईदूज तक का यह उत्सव केवल रोशनी और मिठास का नहीं, बल्कि जीवन के गहरे संदेशों का प्रतीक है। इन दिनों ने हमें यह सिखाया कि जब हम परस्पर प्रेम और सद्भावना के दीप जलाते हैं, तब हमारा जीवन स्व-स्फूर्त रूप से एक उत्सव-मय अनुभव बन जाता है। इसी तरह का एक और पाठ जो हमने सीखा कि अँधेरे का अपना कोई वजूद नहीं होता। यह स्थिति तो केवल प्रकाश के ना होने का एहसास है। याने जितनी देर तक दीप नहीं जलता, उतनी देर तक अँधेरा बना रहता है। लेकिन जैसे ही एक दीपक जलता है, वह अपने प्रकाश से अँधेरे को मिटा देता है।


दोस्तों, ठीक इसी तरह के कई अँधेरे हमारे जीवन में भी होते हैं, जिन्हें सिर्फ़ एक दीप जलाकर दूर किया जा सकता है। जैसे, अज्ञान का अँधेरा मिटाना हो, तो ज्ञान का दीप जलाएँ। ज्ञान सिर्फ पुस्तकों से नहीं आता, बल्कि अनुभवों, सत्संग और सही मार्गदर्शन से आता है। एक सजग मनुष्य वही है जो हर परिस्थिति से कुछ न कुछ सीख लेता है। ज्ञान हमें न केवल सही रास्ता दिखाता है, बल्कि गलत रास्तों से भी बचाता है।


अगर जीवन से असत्य का अँधेरा मिटाना है, तो सत्य का दीप जलाएँ। सत्य का दीप हमारी आत्मा को स्थिर करता है। जब हम असत्य के मार्ग पर चलते हैं, तो बाहर से भले ही सफलता मिले, पर भीतर अस्थिरता बढ़ती जाती है। सत्य का प्रकाश आत्मा को शांति देता है, मन को स्थिरता और संबंधों को मजबूती देता है। जो सत्य में जीता है, वही दीर्घकाल तक लोगों के दिलों में स्थान बनाता है।


इसी तरह अगर निराशा के काले बादलों से निजात पाना है, तो विश्वास का दीप जलाइये क्योंकि विश्वास का दीप, निराशा को हराता है। जीवन में कई बार परिस्थितियाँ ऐसी आती हैं, जब सब कुछ अंधकारमय लगता है। यही वो समय होता है जब हमें अपने भीतर विश्वास का दीप जलाना चाहिए क्योंकि विश्वास ही वह शक्ति है जो हमें टूटने नहीं देती, बल्कि हर बार गिरकर भी उठ खड़े होने की हिम्मत देती है। विश्वास का अर्थ यह भरोसा रखना कि चाहे आज कितना भी अँधेरा क्यों ना हो, पर कल सूरज अवश्य उगेगा।


दोस्तों, प्रकृति का नियम ही यह है कि प्रकाश और अंधकार साथ नहीं रह सकते। जहाँ प्रकाश है, वहाँ आशा है और जहाँ आशा है, वहाँ जीवन खिल उठता है। इसका अर्थ हुआ जीवन की हर अँधियारी रात का समाधान प्रकाश ही है। जब हम अपने भीतर प्रकाश का प्रवाह करने लगते हैं, तभी हमारे अंदर का अँधेरा खुद-ब-खुद पीछे हटता जाता है, याने दूर हो जाता है।


दोस्तों, अब जब यह पर्व-माला पूर्ण हुई है, तब हमें इससे मिली सीखों के आधार पर जीवन जीने का निर्णय लेना चाहिए। हमें प्रण लेना चाहिए कि हम त्यौहारों की इस श्रृंखला के उत्साह और प्रकाश को नियमित जीवन में लायेंगे। हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण, प्रत्येक संबंध, प्रत्येक कार्य को उत्सव-सदृश बनाएँगे। याद रखिएगा दोस्तों, जब आत्मा में दीप जल जाता है, तब अँधेरा कितना भी गहरा क्यों न हो, अपने आप हट जाता है।”


दोस्तों, आज ही निर्णय लीजिए और अपने अंदर ज्ञान, सत्य और विश्वास का दीप जलाइए, और अपने प्रेम-दीप से सर्द संबंधों में गर्माहट लाइए। जब आप ऐसा करेंगे, तब आपका जीवन सिर्फ कुछ दिनों का पर्व नहीं बल्कि लगातार चलने वाला उज्जवल उत्सव बन जायेगा। इन्हीं आशाओं के साथ कि आपका दीप जलता रहे और आपका जीवन उजला रहे…


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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