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संघर्ष ही उड़ान की शक्ति है…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 5 days ago
  • 2 min read

Oct 22, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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चलिए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, एक आदमी रोज़ अपने बगीचे में टहला करता था। एक दिन टहलते वक्त उसने देखा कि एक टहनी पर तितली का कोकून लटक रहा है। कुछ दिनों बाद उसने उस कोकून में एक छोटा-सा छेद देखा, जिसमें से एक तितली बाहर निकलने का प्रयास कर रही थी। कई घंटों तक यही चलता रहा लेकिन तितली को सफलता नहीं मिली। आखिरकार थककर तितली थोड़ा शांत हो गई, जिसे देख ऐसा लगा, जैसे उसने हार मान ली हो।


यह देख उस आदमी का मन पसीज गया। उसने सोचा, “क्यों न मैं इस बेचारी की मदद कर दूँ?” विचार आते ही वो अंदर गया और एक कैंची ले आया और कोकून के छेद को थोड़ा बड़ा कर दिया। जिसकी वजह से तितली आसानी से बाहर निकल आई। उस वक्त उसका शरीर सूजा हुआ था और पंख सिकुड़े हुए थे। उस व्यक्ति को लगा थोड़ी देर में तितली के पंख फैलेंगे और यह उड़ जाएगी। पर ऐसा हुआ नहीं, वह तितली उसके बाद कभी उड़ ही नहीं सकी। असल में उस तितली के पंखों में उड़ने के लिए आवश्यक ताक़त ही नहीं आई और उसने अपनी पूरी ज़िंदगी रेंगते हुए बिता दी।


दोस्तों, हकीकत में तितली की मदद करने वाले व्यक्ति कभी यह समझ ही नहीं पाया कि कोकून से बाहर आने का संघर्ष ही तितली को उड़ने की शक्ति देता है। जब तितली उस संकरे रास्ते से निकलने के लिए ख़ुद फड़फड़ाती है, तब उसके शरीर का तरल उसके पंखों में पहुँचता है और यह प्रक्रिया उसके पंखों को मजबूत बनाती है। लेकिन जब उसके संघर्ष को बीच में रोका गया, तो प्रकृति का चक्र अधूरा रह गया और उस तितली की उड़ान भी अधूरी रह गई।


दोस्तों, यह कहानी सिर्फ़ तितली की नहीं, बल्कि हम सबकी है। जीवन में हम सभी का सामना कई बार मुश्किलों से होता है और उस वक्त हम सोचते हैं कि कोई आए और हमें उससे निकाल ले। ऐसी स्थिति में हम भूल जाते हैं कि संघर्षों से भागना किसी और की नहीं बल्कि अपनी उड़ान खोना है। याद रखियेगा दोस्तों, संघर्ष हमें तोड़ता नहीं, बल्कि गढ़ता है; वह तो हमारे भीतर शक्ति, धैर्य और आत्मविश्वास भरता है।


इसी बात को अगर मैं दूसरे उदाहरण से समझाऊँ तो जो बच्चा बार-बार गिरके चलने का प्रयास करता है, वही चलना सीखता है। जो इंसान जीवन की ठोकरों से गुज़रता है, वही आगे बढ़ने का साहस रखता है। जैसे कोकून का संकुचन तितली के पंख फैलाता है, वैसे ही जीवन की कठिनाइयाँ हमारे व्यक्तित्व को विस्तार देती हैं।


इसलिए दोस्तों, जीवन में अगली बार जब चुनौतियाँ आए या आपको जीवन कठिन लगे, तो ख़ुद को याद दिलाइयेगा कि शायद ईश्वर आपको जीवन में उड़ने के लिए प्रशिक्षित कर रहा है। जिस तरह हम कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं कर सकते ठीक उसी तरह ईश्वर अपने बच्चों याने हमारा बुरा नहीं कर सकता। इसलिए ईश्वर हमें कभी गिराने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में ऊपर उठाने याने हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए परखता है। ध्यान रखिएगा, हमारे जीवन का हर संघर्ष हमें उड़ने के लिए एक नया पंख देता है, बस हमें धैर्य रखकर उसे खुलने देना होता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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