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जीना हो सपनों का जीवन तो ‘आई विश’ नहीं, ‘आई विल’ कहिए…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 3 days ago
  • 3 min read

Nov 21, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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जीना हो सपनों का जीवन तो ‘आई विश’ नहीं, ‘आई विल’ कहिए…


दोस्तों, जीवन को पूर्णता के स्तर तक अपनी शर्तों पर जीना चाहते हो, तो चार्ल्स डिकेन्स के कहे इस कथन, “The most important thing in life is to stop saying ‘I wish’ and start saying ‘I will’.”, को अपना जीवन सूत्र बना लो क्योंकि दोस्तों, जीवन केवल आगे बढ़ने का नाम नहीं है, यह तो लोगों को साथ लेकर आगे बढ़ने और लक्ष्य पाने का नाम है। याने हम कितने महान हैं यह इस बात से तय नहीं होगा कि हम कितनी ऊँचाइयों तक पहुँचे हैं, बल्कि इस बात से मापा जायेगा कि सफल होने के इस सफ़र में हम कितने लोगों को अपने साथ लेकर उन ऊंचाइयों तक पहुँचे। अगर मेरी उपरोक्त बात से सहमत हों तो निम्न ५ सूत्रों को अपने जीवन का हिस्सा बना लो-


पहला सूत्र - किसी को गिरता या पीछे छूटता हुआ देखें, तो उसका साथ दें

हममें से हर कोई कभी न कभी टूटता है, कभी थकता है, कभी पीछे रह जाता है। ऐसे क्षणों में दुनिया आपको आगे बढ़ती नजर आएगी। कुछ लोग आपको आलोचना करते, तो कुछ हँसते दिखेंगे, लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो किसी के पीछे छूटने पर रुककर उन्हें साथ लेकर चलने का साहस रखते हैं। याद रखियेगा दोस्तों, किसी के साथ चलना, किसी को उठाना, किसी का मन बनाना, ये कतई छोटे कार्य नहीं हैं, बल्कि ये सब तो जीवन बदल देने वाले उपहार हैं। किसी के लिए आपका एक छोटा सा gesture उसके पूरे दिन या या यूँ कहूँ पूरी ज़िंदगीको रोशन कर सकता है।


दूसरा सूत्र - जिसे नज़रअंदाज़ किया जा रहा हो, उसका साथ दें

नज़रअंदाज़ होना इंसान के आत्मसम्मान और जीतने की आग को धीरे-धीरे बुझा देता है। हर इंसान चाहता है कि उसे सुना जाए, समझा जाए, और महत्व दिया जाए। अगर आप किसी को अनदेखा होता देखें, तो सिर्फ़ बात मत कीजिए, बल्कि उसे एहसास करवाइये कि वह मायने रखता है। यही इंसानियत है; यही संवेदनशीलता है।


तीसरा सूत्र - जिसे गिरा दिया गया हो, उसे उठाएँ

किसी को नीचा दिखाना, गिराना आसान है, पर किसी को जमीन से उठाना, महान लोगों का काम है। जी हाँ, जरूरतमंद का हाथ पकड़ना, उसका हौसला बढ़ाना और उसे फिर से कोशिश करने का साहस देना ही लीडर का मुख्य कार्य है। याने यही नेतृत्व और असली शक्ति है। याद रखिएगा, दया कभी व्यर्थ नहीं जाती, सद्भावना हमेशा लौटती है और आपका एक वाक्य किसी की टूटी उम्मीद को जोड़ सकता है।


चौथा सूत्र -“I wish…” को छोड़कर “I will…” कहना सीखें

चार्ल्स डिकेन्स ने बिल्कुल सही कहा है, “ज़िंदगी में सबसे ज़रूरी है ‘काश ऐसा होता’, कहना छोड़कर ‘मैं ऐसा करूँगा’ कहना।” क्योंकि सपने केवल सोचने से सच नहीं होते। उन्हें संकल्प, साहस और एक्शन की ज़रूरत होती है। अपनी ज़िंदगी बदलना चाहते हो तो आज ही क़दम बढ़ाओ। आज ही “I will” कहिए क्योंकि इच्छा आपको प्रेरित करती है, पर इरादा आपको बदल देता है।


पाँचवाँ सूत्र - अनादर का उत्तर दूरी है, प्रतिक्रिया नहीं

जीवन की प्रमुख बातों में एक और बात सबसे जरूरी है, अपनी शांति की रक्षा करना। अगर कोई आपका अनादर करे, आपको चोट पहुँचाए, आपकी भावनाओं को कमतर समझे, तो न तो बहस करें, न प्रतिक्रिया दें और ना ही स्पष्टीकरण दें। बस एक काम करें, ऐसे लोगों से दूरी बना लें। याद रखियेगा, आपका मौन अक्सर शब्दों से ज़्यादा ताकतवर होता है।


अंत में इतना ही कहूँगा कि दया करना, संकल्प लेना और आत्मसम्मान बनाए रखना - ये तीन बातें जीवन को चमका देती हैं। इसलिए हमेशा याद रखें किसी का हाथ पकड़ने याने मदद करने से आपकी चमक कम नहीं होती। “I will” कहने से आपकी दुनिया बदलने लगती है और अनादर से दूर रहना आपके आत्मविश्वास को बचाए रखता है। एक इंसान के रूप में आप किसी की दुनिया बदल सकते हैं, अपना भविष्य बना सकते हैं और वह भी बस एक छोटे कदम से।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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