पद या पैसा नहीं आपको आपका व्यवहार महान बनाता है…
- Nirmal Bhatnagar

- 2 days ago
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Dec 1, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, सफलता को अक्सर पद, पैसे, और चमकदार उपलब्धियों से मापा जाता है। जैसे बड़ी कार, बड़ा घर, बड़ा ऑफिस, ऊँचा वेतन आदि देख हम तय करते हैं कि कौन “कामयाब” है। लेकिन हकीकत में सच्चाई कुछ और है, असली महानता इस बात में नहीं कि आपके पास कितना है, बल्कि इस बात में है कि आप लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। याद रखियेगा, पैसों या संसाधनों की चमक समय के साथ फीकी पड़ सकती है, पर दयालुता की विरासत पीढ़ियों तक चलती है। याद रखियेगा, पद, पैसे, और चमकदार उपलब्धियाँ आपके भीतर अहंकार बढ़ाकर, शांत और सुखी जीवन जीने के लिए आवश्यक प्रेम और अपनत्व को ख़त्म करती है। इसलिए ही कहा गया है, अहंकार की आवाज़ तेज़ हो सकती है, लेकिन प्रेम की आवाज़, सबसे गहरी और सबसे दूर तक सुनाई देने वाली होती है। इसी बात के महत्व को समझाते हुए महात्मा गांधी जी ने कहा था, “किसी समाज की महानता इस बात से मापी जाती है कि वह सबसे कमजोर लोगों के साथ कैसा व्यवहार करता है।” यही सत्य हमारी व्यक्तिगत ज़िंदगी पर भी लागू होता है। चलिए इसे और गहराई से समझने के लिए एक कहानी सुनते हैं-
एक बार एक प्रतिष्ठित कॉलेज में वार्षिक समारोह में देश के एक मशहूर वैज्ञानिक मुख्य अतिथि के रूप में बुलाए गए थे। जब वे स्टेज की ओर बढ़ रहे थे, तभी उन्होंने एक सफाई कर्मचारी को हॉल के बाहर झाड़ू लगाते हुए देखा और महसूस किया कि अंतिम समय की भाग-दौड़ के कारण सभी लोग उसे नजरअंदाज या अनदेखा कर आगे बढ़ते जा रहे थे। यह देख वैज्ञानिक उसके पास गए, और मुस्कराकर बोले, “आप मेहनत से काम कर रहे हैं, धन्यवाद। आपकी वजह से यह समारोह सुंदर दिख रहा है।”
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे वैज्ञानिक से अपनी तारीफ़ सुन सफाई कर्मचारी चौंक गया और अगले ही क्षण उसकी आँखें नम हो गई। उसने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा, “साहब, मैं यहाँ 20 साल से काम कर रहा हूँ और इस दौरान हजारों कार्यक्रमों में लाखों लोग आए और गए, लेकिन आज पहली बार किसी ने मुझे मेरे काम के लिए धन्यवाद कहा है। मुख्य अतिथि ने उसके कंधे पर हाथ रखा और मंच की ओर चल दिए।
कुछ देर पश्चात जब मुख्य अतिथि के रूप में वैज्ञानिक को मंच पर भाषण देने के लिए आमंत्रित किया तो उन्होंने शुरुआती औपचारिक बातों के बाद कहा, “आज यह कार्यक्रम इतना व्यवस्थित और सुचारू रूप से चलता प्रतीत हो रहा है तो इसका श्रेय उन लोगों को भी जाता है, जिन्हें सामान्यतः नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। इतना कहकर अतिथि ने उस सफ़ाई कर्मचारी को मंच पर बुलाया और उनका शुक्रिया अदा किया। उनके ऐसा करते ही पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा और लोगों ने पहली बार उस सफाई कर्मचारी को सम्मान से देखा। दोस्तों कहानी बड़ी साधारण सी है, लेकिन जीवन को सहज-सरल और बेहतर बनाने का संदेश देती है। जैसे-
1) बड़ा पद नहीं, बड़ा दिल आपको महान बनाता है।
2) दयालुता का एक शब्द, किसी की पूरी ज़िंदगी और उसकी दिशा बदल सकता है।
3) दुनिया आपके काम को भूल सकती है, लेकिन आपके व्यवहार को नहीं।
4) सफलता दिखती है, लेकिन महानता अक्सर महसूस होती है।
अंत में दोस्तों मैं इतना ही कहूँगा कि किसी को भी उसके कपड़ों, उसके कार्य या उसके पद से मत आंकिए और निम्न बातों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाइये-
1) इज़्ज़त उस दिल में होती है जो इंसानों को उठाना जानता है, गिराना नहीं।
2) जीवन का असली सौंदर्य इसमें नहीं है कि आपने कितनी ऊंचाइयों को छुआ है, बल्कि इसमें है कि रास्ते में आपने कितने लोगों का हाथ थामा है।
3) दयालुता एक ऐसी भाषा है, जिसे बहरे सुन सकते हैं और अंधे देख सकते हैं।
आइए दोस्तों, उपरोक्त सूत्रों को अपनाकर हम अपने व्यवहार को और बेहतर बनाते हैं, जिससे प्रेम पूर्वक अपने जीवन को जीते हुए असली सफलता प्राप्त कर सकें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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