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पहचानें असली दौलत को…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Jul 26, 2023
  • 3 min read

July 25, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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आइए साथियों, आज के लेख की शुरुआत जीवन को नई दिशा देने वाली एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है एक बुजुर्ग महात्मा दान की आस रख, घर-घर जाकर पुकारने लगे, ‘माई मुट्ठी भर मोती देना, ईश्वर तुम्हारा भला करेगा!’ साधु की विचित्र माँग सुन सभी गाँव वाले, विशेषकर महिलाएँ आश्चर्यचकित थी। वे सभी सोच रही थी कि घर की ज़रूरतें ही बड़ी मुश्किल से पूरी हो पाती हैं ऐसे में महात्मा की माँग पूरी करने के लिए इतने मोती लाएँगे कहाँ से? इसी वजह से महात्मा को हर घर से ख़ाली हाथ ही आगे बढ़ना पड़ रहा था।


महात्मा को काफ़ी देर से ऐसे ही भटकते हुए देख एक बुजुर्ग महिला को दया आ गई। वे महात्मा के पास गई और बोली, ‘महात्मन, मेरे पास मुट्ठी भर मोती तो नहीं है। लेकिन हाँ, नाक की नथनी में से मोती टूटकर निकल गया था, जिसे मैंने सम्भालकर रख रखा था। कृपया इसे आप स्वीकार लें और हमारे गाँव से ख़ाली हाथ वापस ना जाएँ।’ बुजुर्ग महिला के हाथ में मोती देख महात्मा मुस्कुराते हुए बोले, ‘माँ, इस अकेले मोती को मैं अपनी फटी झोली में कहाँ रखूँ, समझ नहीं पा रहा हूँ। कृपया इसे आप अपने पास ही सुरक्षित रखें।’ ऐसा कहकर महात्मा उस गाँव से चले गए।


दूसरे गाँव में जाकर भी साधु ने यही क्रम दोहराना शुरू कर दिया। शुरुआती असफलता के बाद जब महात्मा मोती की चाह में एक किसान के घर पहुंचे और पुकार लगाई की ‘भाई, प्याली भर मोती मिलेंगे क्या? भगवान तुम्हारा भला करेगा।’ किसान ने तुरंत महात्मा के हाथ जोड़े और ज़मीन पर चादर बिछाते हुए बोला, ‘महात्मन, कृपया आसन ग्रहण करें, मैं अभी व्यवस्था करता हूँ।’ इतना कहकर किसान ने अपनी पत्नी को आवाज़ देते हुए कहा, ‘लक्ष्मी, आज हमारे भाग्य खुल गए हैं क्योंकि आज हमारे घर महात्मा जी स्वयं पधारे हैं।’ किसान की पत्नी लक्ष्मी तुरंत बाहर आई और महात्मा को प्रणाम कर उनके पैर धुलवाए। इतने में ही किसान बोला, ‘लक्ष्मी, महात्मा जी को भूख लगी है इसलिए अंजुली भर मोती लेकर पीसो और उसकी रोटियाँ बनाओ। तब तक मैं मोतियों की गागर लेकर आता हूँ।’ इतना कहकर किसान ख़ाली गागर लेकर घर से निकल गया।


कुछ ही देर में लक्ष्मी ने भोजन तैयार कर लिया और किसान भी मोतियों की गागर लेकर लौट आया। दोनों ने मिलकर महात्मा जी को बड़े आदर और प्यार के साथ अच्छे से भोजन कराया। भोजन के पश्चात महात्मा जी बड़े प्रसन्न होते हुए बोले, ‘बहुत दिनों बाद किसी कुबेर के घर का भोजन करने को मिला है, मैं बहुत प्रसन्न हूँ। मैं तुम दोनों को हमेशा याद कर सकूँ इसलिये मुझे कान भरकर मोती और दे दो।’ महात्मा की बात सुन पति-पत्नी दोनों ही हाथ जोड़ कर खड़े हो गये और बोले, ‘महात्मन, हम तो अनपढ़ किसान है। आपको कान भर मोती कैसे दे सकते हैं? आप तो परम ज्ञानी हैं इसलिए हमारी अपेक्षा है कि कृपया आप हमें कान भर मोती दीजिए।’


किसान पति-पत्नी की बात सुन महात्मा बोले, ‘नहीं भाई, मेरी नज़र में तुम अनपढ़ नहीं हो। तुम तो बल्कि महान विद्वान हो। इसी कारण तो तुम मेरी इच्छा पूर्ण करने में सफल हुए। जब तुम जैसा कोई विद्वान मिलता है तब ही मैं भरपेट भोजन कर पाता हूँ।’ कुछ पलों तक चुप रहने के बाद महात्मा जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘वत्स, जो मनुष्य फसल के दानों, पानी की बूँदों और शब्दों को मोती समझता हो, वही मेरी दृष्टि में सच्चा कुबेर याने धनवान है। मैं ऐसे ही मनुष्य के घर भोजन करता हूँ फिर चाहे मुझे वहाँ छप्पन भोग मिले या फिर रोटी-चटनी।’ इतना कहकर महात्मा ने किसान दंपत्ति को आशीर्वाद दिया और वहाँ से चले गए।


वैसे तो दोस्तों, आप समझ ही गये होंगे लेकिन फिर भी हम संक्षेप में इस पर चर्चा कर लेते हैं। हक़ीक़त में इस दुनिया में तीन सबसे महत्वपूर्ण चीजें होती हैं, जिसके बिना जीवन असंभव है। यह तीन चीजें हैं हवा, पानी और अन्न। इसलिए मनुष्य के लिए असली दौलत हीरे, मोती या जवाहरात नहीं अपितु हवा, पानी और अन्न है। इसके साथ अगर आप सुभाषित है तो निश्चित तौर पर आप विशेष हैं, जैसे उपरोक्त कहानी में किसान दंपत्ति थे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com


 
 
 

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