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भीतर का अँधेरा दूर करें…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Oct 1
  • 3 min read

Oct 1, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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दोस्तों, जीवन में अक्सर गहरी बातें हास्य के सहारे बड़ी आसानी से समझ आती हैं। मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानियाँ इसी कला की मिसाल हैं। उनकी कहानियाँ हमें न केवल हँसाती नहीं, बल्कि जीवन को देखने का नया दृष्टिकोण भी देती हैं। इसलिए आज हम मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानी से अपने लेख की शुरुआत करते हैं।


एक बार एक राहगीर ने मुल्ला नसीरुद्दीन को उनके घर के समीप दीपक की रोशनी में कुछ ढूँढते हुए देख, पूछा, “मुल्ला आप क्या ढूँढ रहे हैं?” मुल्ला बोले, “मेरी चाबी खो गई है। क्या तुम मुझे उसे खोजने में मदद करोगे?” राहगीर ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और मुल्ला की मदद करने पहुँच गया। काफ़ी देर तक प्रयास करने के बाद भी जब चाबी नहीं मिली तो राहगीर मुल्ला के पास गया और प्रश्न करते हुए बोला, “चाबी यहीं गिरी थी क्या?” मुल्ला हँसते हुए बोले, “नहीं, चाबी तो घर के अंदर गिरी थी।” मुल्ला का उत्तर सुन राहगीर चौंकते हुए बोला, “तो फिर आप बाहर क्यों ढूँढ रहे हैं?” मुल्ला सहजता के साथ बोले, “क्योंकि यहाँ रोशनी है, अंदर अँधेरा है।”


दोस्तों किस्सा सुनते ही हंसी आना स्वाभाविक है, लेकिन अगर आप इसपर गहराई से सोचेंगे तो पायेंगे कि यह कहानी हमारी जिंदगी की गहरी सच्चाई लिए हुए है। सामान्यतः हर इंसान अपनी समस्या का हल वहाँ खोजता है जहाँ वह अपने कम्फर्ट जोन में हो, न कि वहाँ जहाँ असली समस्या है। याद रखियेगा दोस्तों, बाहर दिखने वाली चमक-दमक, दूसरों की राय, या तात्कालिक समाधान हमें आसान तो लगते हैं, पर यह हमें स्थायी सुख नहीं दे पाते हैं। परंतु इसके विपरीत आत्मचिंतन, अपनी आदतों में बदलाव और ईमानदारी से खुद को देखने का साहस अक्सर कठिन प्रतीत होता है, पर इसे अपनाया जाये तो यह हमें स्थायी सुख और शांति की ओर ले जाता है। आइए अब हम मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानी से मिले अन्य सबकों पर चर्चा कर लेते हैं-


पहला सबक – समस्याओं का हल सही जगह खोजो

जीवन की कठिनाइयों का हल सतही उपायों में नहीं, बल्कि भीतर झाँकने में है। यदि हम भीतर की उलझनों को सुलझा लें, तो बाहर की समस्याएँ अपने-आप हल होने लगती हैं।


दूसरा सबक – कठिनाई से भागो मत, उसका सामना करो

चाबी ढूँढने का सही स्थान अँधेरा कमरा था, पर मुल्ला बाहर रोशनी में खोज रहे थे। उसी तरह हम कठिन काम से बचने के लिए आसान रास्ता चुन लेते हैं। लेकिन असली प्रगति तभी होती है जब हम कठिनाई का सामना करने का साहस जुटाते हैं।


तीसरा सबक – आत्मचिंतन की शक्ति

जैसे चाबी भीतर थी, वैसे ही जीवन की सच्ची शांति और संतोष भी हमारे भीतर ही छिपे हैं। हमें समय-समय पर खुद से प्रश्न पूछना चाहिए, “क्या मैं सुख, शांति और संतोष को सही जगह खोज रहा हूँ?” यह आत्मचिंतन हमें भ्रम से बाहर निकालता है।


चौथा सबक – हँसी के बीच सीख

मुल्ला की कहानियाँ हमें यह भी याद दिलाती हैं कि जीवन की गहराइयों को गंभीरता से ही नहीं, मुस्कुराकर भी समझा और सीखा जा सकता है। हँसते हुए समझा और सीखा गया सबक सबसे लंबे समय तक याद रहता है।


दोस्तों याद रखिएगा, जीवन में सार्थकता उसी समय मिलती है जब हम सही जगह खोजने का साहस करते हैं। हमारी असली ख़ुशियों की चाबी बाहरी चमक-दमक में नहीं, बल्कि भीतर के अन्धेरे में छिपी होती है। जब हम उस अन्धेरे को स्वीकार कर अपने भीतर खोज शुरू करते हैं, तभी हमें सच्चा समाधान और शांति मिलती है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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