रुकावट याने जीवन की पाठशाला…
- Nirmal Bhatnagar
- 2 days ago
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May 18, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन एक यात्रा है, जिसमें राहें सरल भी होती हैं और जटिल भी। लेकिन अक्सर हम कठिनाइयों और रुकावटों से डर जाते हैं। हम सोचते हैं कि अगर जीवन में सब कुछ आसानी से मिल जाए, तो हम खुश रहेंगे। पर क्या कभी आपने सोचा है कि जो लोग जीवन में सबसे ज़्यादा संघर्ष करते हैं, वही सबसे गहरे आनंद को भी अनुभव करते हैं?
जी हाँ दोस्तों, असल में, रुकावटें और कठिनाइयाँ हमारी सच्ची हितैषी हैं। ये कोई सज़ा नहीं, बल्कि अवसर हैं – हमें मजबूत बनाने का, हमें हमारी छिपी हुई क्षमताओं से परिचित कराने का। जब कोई समस्या आती है, तो वह हमें सोचने पर मजबूर करती है। वह हमारी समझ, धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। यही संघर्ष हमें ऊँचा उठाते हैं। जो रास्ता बिल्कुल सीधा हो, उस पर चलने में कोई विशेषता नहीं होती। लेकिन जो रास्ता कठिन हो, काँटों से भरा हो, और हम उस पर चलने का ना सिर्फ़ निर्णय लेते हैं बल्कि उस पर चलते हैं, तब वही यात्रा हमें आत्मविश्वास, शांति और उपलब्धि का असली स्वाद देती है।
याद रखियेगा दोस्तों, महान लोग कभी आसान परिस्थितियों में नहीं बने हैं। उन सभी ने तो कठिन हालातों में तपकर, टूटकर, फिर से जुड़कर ही अपने लक्ष्यों को पाया है। अर्थात् कठिनाइयों ने ही उन्हें महान आत्मा बनाया है। जैसे बीज मिट्टी में दबता है, गलता है, तब जाकर एक वृक्ष बनता है, ठीक वैसे ही हमारे जीवन में बलिदान और संघर्ष से ही सफलता और संतोष का फूल खिलाते है।
इसलिए, उदासी और निराशा को त्यागिए। ईश्वर ने आपको व्यर्थ नहीं बनाया। उन्होंने आपके जीवन में एक उद्देश्य रखा है। जब आप हर कठिनाई का सामना मुस्कराते हुए करते हैं, तब आप अपनी आत्मा की शक्ति को पहचानते हैं। आत्मा सबसे बलवान है – यह विश्वास ही ईश्वरीय विश्वास है।
जब आप मुस्कुराकर संकटों को स्वीकार करते हैं, तब जीवन का असली सौंदर्य सामने आता है। तब आप अपने भीतर की उस शक्ति को जागृत करते हैं जो हर असंभव को संभव बना सकती है। याद रखिएगा, कठिनाइयाँ आपका नुकसान करने नहीं, बल्कि आपको निखारने आती हैं। वे आपके जीवन का स्तर ऊपर उठाने आती हैं। वे आपको बताने आती हैं कि आप उससे कहीं ज़्यादा सक्षम हैं, जितना आपने कभी सोचा था।
इसलिए, हर संकट को मुस्कराकर स्वीकार करें। हर रुकावट को एक सीढ़ी मानें, जो आपको ऊपर ले जा रही है। हर दुख को अनुभव करें, लेकिन उसमें डूबें नहीं – बल्कि उससे ऊपर उठकर और मजबूत बनें। सदा प्रसन्न रहें। जीवन को पूरी ऊर्जा और विश्वास के साथ जिएं। क्योंकि जो अपने अंदर के बल पर भरोसा करता है, उसके लिए कोई भी कठिनाई दीवार नहीं, बल्कि दरवाज़ा बन जाती है – सफलता की ओर खुलने वाला।
अंत में इतना ही कहूँगा दोस्तों, जीवन में आगे बढ़िए, संघर्ष से डरिए नहीं बल्कि उसे स्वीकारिये; उसे अपनाइए क्योंकि संघर्ष ही सच्चा शिक्षक है और जीत में उसी की असली भूमिका भी होती है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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