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लक्ष्य या विजन को नहीं, अपनी रणनीति को बदलो…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 2 days ago
  • 3 min read

Dec 15, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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दोस्तों, हम सभी अपने जीवन को पूर्णता के साथ जीना चाहते हैं और इसीलिए कुछ ना कुछ बड़ा करने का सपना लिए जीवन जीते हैं। कोई सफल व्यवसायी बनना चाहता है, तो कोई बेहतर करियर चाहता है, तो कोई खुशहाल परिवार या आत्मिक शांति का लक्ष्य लिए जीवन में आगे बढ़ता है और योजनाबद्ध तरीक़े से रणनीतियाँ बनाकर मेहनत करता है। कई बार हमारी योजना हमें अपेक्षित परिणाम देकर सफल बनाती है, तो कई बार हमारे हाथ असफलता लगती है। सफलता जहाँ हमारा उत्साह बढ़ाती है, वहीं, असफलता सबसे पहले हमारे आत्मविश्वास को नुक़सान पहुँचाती है; कम करती है। इसका सीधा असर हमारी सोच पर पड़ता है और हम अपने सपनों; अपने विज़न पर संदेह करने लगते हैं। और सोचने लगते हैं, “शायद मेरा सपना ही गलत था…”; “शायद मुझे यह करना ही नहीं चाहिए था…” या “शायद मैं इस काम के लायक ही नहीं हूँ…” लेकिन अक्सर यह बातें सही नहीं होती यानी असफलता का अर्थ हमेशा यह नहीं होता कि आपका लक्ष्य या विज़न गलत है। मेरी नज़र में असफलता सिर्फ़ यह सिद्ध करती है कि हमारा तरीका सही नहीं था और साथ ही हमें यह भी बताती है कि हमें ख़ुद में कहाँ सुधार लाना है।


याद रखिएगा दोस्तों, योजनाओं की तुलना में विजन हमेशा बड़ा होता है। चलिए पहले इसे ही थोड़ा और गहराई से समझ लेते हैं। साधारण भाषा में कहूँ तो विजन यानी हमारे भीतर जलने वाली वो गहरी आग, जो हमेशा हमें अपने उद्देश्य की याद दिलाती है; हमारे जीवन को दिशा देती है और बीतते समय के साथ बदलने या छूटने के स्थान पर और ज्यादा मज़बूत होती जाती है। इसके उलट, रणनीतियाँ और योजनाएँ परिस्थितियों के अनुसार बदलनी पड़ती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका सपना एक सफल उद्यमी बनना है, तो पहला बिज़नेस असफल होने पर सपने या अपने लक्ष्य को मत बदलिए, बल्कि अपनी गलतियों या कमियों को पहचान कर उन्हें दूर कीजिए और अपना तरीका बदल कर फिर से प्रयास कीजिए। इसी तरह मान लीजिए कि आपका मकसद एक अच्छा लेखक बनना है, लेकिन आपकी पहली किताब बाज़ार में ज्यादा नहीं बिक पाई है, तो लेखन मत छोड़िए, अपनी शैली बदलिए और यदि आपका लक्ष्य स्वस्थ जीवन है, और आपका वर्तमान तरीका उसे पूरा नहीं कर पा रहा है तो स्वस्थ जीवन के लक्ष्य को छोड़ने के स्थान पर अपना खान-पान और जीवन जीने का तरीका बदलिए। याद रखियेगा, लक्ष्म हमेशा स्थिर रहता है, बस उसे पाने के रास्ते, समय-समय पर नए बनाने पड़ते हैं।


जी हाँ, रणनीतियाँ अस्थायी होती हैं, लक्ष्य नहीं। रणनीति वो नाव है जिसमें बैठकर आप समंदर पार करते हैं। अगर नाव टूट जाए, तो यात्री नई नाव लेता है, समंदर पार करने का विचार नहीं छोड़ देता! जब हम समझ लेते हैं कि “योजना बदल सकती है, सपना नहीं,” तब असफलता हमें तोड़ती नहीं, बल्कि सिखाती है। असफल योजना हमें नए रास्ते दिखाती है, नए कौशल सिखाती है, और हमें पहले से अधिक सक्षम बनाती है।


दोस्तों, दुनिया के हर सफल व्यक्ति ने यही किया है। यानी उन्होंने अपने सपने को बरकरार रख हमेशा उन्हें पाने के रास्तों को बदला है। वे ये जान गए थे कि योजनाएँ सुधारने के लिए होती हैं, रणनीतियाँ समय के अनुसार बदलती हैं, पर विजन, जीवन भर साथ रहता है या यूँ कहूँ साथ रहकर हमारे जीवन को दिशा देता है। इसीलिए कहते हैं सफलता के रास्ते में आई हर अड़चन हमें परिपक्व और मज़बूत बनाती है। इसलिए, हमेशा याद रखें असफलता योजना की होती है, सपने की नहीं। यदि किसी योजना ने आपको सफलता नहीं दी, तो अपने लक्ष्य पर शक मत कीजिए। लक्ष्य हमेशा बड़ा होता है, वह जीवन को दिशा देता है और असफलता सिर्फ यह बताती है कि जिस रास्ते पर आप चल रहे थे, वह सही नहीं था। इसलिए रास्ता बदलिए, विजन नहीं। तरीका बदलिए, लक्ष्य नहीं क्योंकि सपने वही पूरे होते हैं, जिन्हें पाने के लिए इंसान गिरकर भी उठता है, और हर बार नए रास्ते से आगे बढ़ता है। इसी वजह से तो कहा गया है-

“सोच को बदलो सितारे बदल जाएँगे, नज़र को बदलो नजारे बदल जाएँगे। कश्तियाँ बदलने की कोई जरूरत नहीं है मेरे दोस्त, दिशाओं को बदलो किनारे बदल जाएँगे॥”


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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