सफल होने से पहले रुकें नहीं…
- Nirmal Bhatnagar

- Aug 11
- 3 min read
Aug 11, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, जीवन बनाने की राह में गिरकर उठने वाले, कभी हार नहीं मानते। वे जानते हैं कि जीवन एक संघर्ष है, और हर संघर्ष अपने साथ गिरने, टूटने और उठने की संभावना लेकर आता है और जो व्यक्ति गिरकर, टूटकर उठने की सामर्थ्य रखता है, उसे लक्ष्य तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता। जी हाँ, सफलता केवल ऊँचाई छूने का नाम नहीं है। यदि हम किसी की असली सफलता को मापना चाहें, तो हमें यह देखना चाहिए कि उसने जीवन की राह में कितनी बार गिरकर दोबारा उठने का साहस दिखाया है। यही जीवन की असली जीत है। इसलिए ही तो कहा जाता है, ‘जीवन में केवल वही नहीं बढ़ता जो तेज़ दौड़ता है, बल्कि वो भी आगे बढ़ता है जो बार-बार गिरकर भी रुकता नहीं है।’
याद रखियेगा दोस्तों, गिरने का अर्थ असफल होना नहीं है, यह तो आगे बढ़ते जीवन का स्वाभाविक गुस्सा है। जब छोटे बच्चे चलना सीखते हैं, तो न जाने कितनी बार गिरते हैं, लेकिन हर बार उनका उत्साह और संकल्प उन्हें फिर से उठने को प्रेरित करता है। सोच कर देखिए, अगर वे एक बार गिरने के बाद हार मान लेते, तो क्या आज हम सब चलना सीख पाते? नहीं ना! यही सिद्धांत पूरे जीवन पर लागू होता है। दोस्तों, हर असफलता एक सीख है, और हर सीख अगली सफलता का बीज।
लेकिन इस सिद्धांत से आप तब जीवन में आगे बढ़ पायेंगे जब आप बल और बुद्धि से कई गुना बड़ी ‘संकल्प शक्ति’ का महत्व सीख पाएंगे। जीवन में बल और बुद्धि होना एक सौभाग्य हो सकता है, लेकिन अगर उसमें संकल्प शक्ति ना हो, तो वो अधूरी ही रह जाती हैं। सहमत ना हों तो जरा आस-पास देख लीजियेगा आपको कई असफल लोगों के पास अपार बल और तेज बुद्धि देखने को मिल जाएगी। ये सभी लोग अपनी अपनी मंजिल से सिर्फ़ इसलिए भटकें हैं क्योंकि उनका संकल्प मजबूत नहीं था।
इसके विपरीत आपको समाज में ऐसे कई लोग मिलेंगे जो सामान्य बल और बुद्धि होने के बाद भी जीवन में बहुत सफल हैं। इसकी मुख्य वजह उनमें मजबूत संकल्प शक्ति का होना है। जी हाँ, ऐसे लोग धीमे ही सही, लेकिन लगातार आगे बढ़ते रहते है और अंततः सफलता के शिखर को छू लेते है।
इसलिए ही मेरा मानना है कि जीवन में गिर कर बार-बार उठना ही असली जीत है। जी हाँ दोस्तों, हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि गिरना शर्म की बात नहीं है, लेकिन गिरकर उठने से इनकार करना सबसे बड़ी हार है। जीवन की सबसे बड़ी ऊँचाइयाँ उन्हीं को मिलती हैं, जो असफलता से नहीं डरते, जो आलोचना को अपनी ऊर्जा बनाते हैं, और जो बार-बार उठने की कला जानते हैं।
याद रखियेगा, गिरना सिर्फ़ इस बात की चेतावनी है कि अभी कुछ सुधारना बाकी है, और हर बार उठना इस बात का संकेत है कि अभी हारना नहीं है। इसलिए दोस्तों, जीवन कभी परीक्षा ले, तो घबराने के स्थान पर नए परिवर्तन के साथ शुरुआत करें। संभव है आपमें से कुछ लोगों को लग रहा हो कि ‘इस तरह की सलाह देना बहुत आसान है, लेकिन उस पर अमल करना नहीं!’, तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि उपरोक्त बात मैं अपने जीवन के आधार पर ही कह रहा हूँ। याद रखियेगा, सोच और दृष्टिकोण के बदलने से ही जीवन की दिशा बदलती है और जब विचार और व्यवहार एक हो जाते हैं, तभी परिवर्तन घटित होता है।
अंत में निष्कर्ष के तौर पर इतना ही कहूँगा कि जीवन की सफलता का मूल्यांकन कभी ऊँचाई से नहीं, बल्कि संघर्षों के बीच खड़े रहने की क्षमता से किया जाना चाहिए। एक सच्चा विजेता वह नहीं होता जो बिना गिरे दौड़ जाए, बल्कि वह होता है जो गिरकर भी मुस्कराता है, उठता है, और फिर पूरी शक्ति से आगे बढ़ता है। इसलिए दोस्तों, जब कभी जीवन परीक्षा ले याने कभी भी असफलता हाथ लगे तो ना तो रुकें, ना ही रोयें, बस उठें और सीख लेकर जीवन में आगे बढ़ें। यकीन मानिएगा, आपका यह नजरिया मंज़िल को आपके पास आने के लिए मजबूर कर देगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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