सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं…
- Nirmal Bhatnagar
- Oct 4
- 3 min read
Oct 4 , 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत मैं आपसे एक प्रश्न पूछ कर करना चाहता हूँ, “क्या आप भी हर चीज़ को शॉर्टकट से पाना चाहते हैं? जैसे तुरंत पैसा, झटपट मंजिल, तेज सफलता आदि? अगर हाँ, तो ऐसा सोचने वाले आप अकेले नहीं हैं। आज की 20 से 35 वर्ष की पीढ़ी का यही ट्रेंड है – फास्ट लाइफ, फास्ट रिज़ल्ट्स!
आज के युवाओं की इस सोच को देखकर अक्सर मेरे मन में सवाल आता है, क्या वाकई शॉर्टकट से जीवन की मंज़िल पाई जा सकती है? मेरी नजर में तो संभवतः नहीं। चलिए एक उदाहरण से मैं इसे आपको समझाने का प्रयास करता हूँ। मान लीजिए आपके घर आपके कुछ दोस्त अचानक पहुँच जाते हैं और आप उन्हें डिनर में एक ऐसी डिश खिलाने का निर्णय लेते हैं जिसे 300°F पर तीन घंटे धीरे-धीरे पकाया जाता है, जिससे वह सुनहरी सिकाई के साथ-साथ नर्म और स्वादिष्ट बना रहे।
आपके मित्र अपनी व्यस्तता के कारण इस निमंत्रण को स्वीकार करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए आपको बताते हैं कि उनके लिए 1 घंटे से अधिक रुकना संभव नहीं है। अब क्या आपके लिए उस डिश को 300°F पर धीरे-धीरे तीन घंटे तक पकाने के स्थान पर 900°F पर सिर्फ एक घंटे में पकाना संभव होगा? नहीं ना! और अगर मैं इसका कारण पूछूँ तो आप कहेंगे, “वह जल जाएगा, सख़्त हो जाएगा और खाने लायक नहीं रहेगा।”
दोस्तों, दोनों स्थिति में लक्ष्य एक ही था, एक विशेष डिश पकाना या यूँ कहूँ खाना पकाना! आपने उस लक्ष्य को जल्दी पाने के लिए सिर्फ़ तरीका और गति को बदला लेकिन इस जल्दबाज़ी का परिणाम यह निकला कि सारा का सारा भोजन ही बर्बाद हो गया। दूसरे शब्दों में कहूँ तो, अगर इस डिश को धैर्य के साथ सही तरीके से पकाया गया होता, तो यह पाककला का अद्भुत उदाहरण होती, लेकिन जल्दबाज़ी ने उसे बर्बाद कर दिया।
यही तो ज़िंदगी है, दोस्तों। हम सबका सपना इस डिश की तरह ही है। अगर उसे तुरंत पाने की आग में झोंक देंगे, तो वह जल जाएगा। लेकिन अगर उसे धैर्य और निरंतरता से पकाएँगे, तो वह ज़िंदगी का सबसे स्वादिष्ट अनुभव बन जाएगा। इसलिए ही मैं हमेशा शॉर्टकट को जीवन का सबसे बड़ा धोखा मानता हूँ। वैसे मैं कोई अनोखी बात नहीं कह रहा हूँ, आजकल हम सब इसी इंस्टेंट कल्चर में जी रहे हैं। हर कोई इंस्टेंट नूडल्स या इंस्टेंट कॉफ़ी की तरह इंस्टेंट सफलता चाहता है। लेकिन ध्यान रखिएगा, इंस्टेंट नूडल्स पेट तो भरते हैं, पर पोषण नहीं देते। ठीक वैसे ही शॉर्टकट से मिली सफलता टिकती नहीं। इसे आप थोड़ी देर की चमक मान सकते है, जो जल्दी बुझ जाती है।
दोस्तों, अगर आप जीवन में असली ग्रोथ चाहते हैं तो सबसे पहले स्वीकारें कि सफलता कोई इंस्टेंट प्रोडक्ट नहीं है। यह तो एक धीमी आंच पर पकने वाली दावत है। इसके लिए आपको निम्न तीन बातों को अपनाना होगा–
1) धैर्य – ताकि आपकी मेहनत गहराई तक जड़ें जमा सके।
2) लगातार प्रयास – ताकि आप रोज़ थोड़ा-थोड़ा मज़बूत होते जाएँ। और,
3) विश्वास – इसलिए की अभी भले ही कुछ बड़ा न दिख रहा हो, पर भीतर कुछ ना कुछ महान बन रहा है।
दोस्तों, अगर आपको लगता है कि आपकी सफलता की यात्रा बहुत धीमी है, तो घबराइए मत। यह धीमापन ही आपकी सबसे बड़ी ताक़त है क्योंकि धीरे-धीरे ही अनुभव पनपता है, और अनुभव ही असली सफलता की नींव है। याद रखियेगा, अक्सर जल्दी हासिल की गई चीज़ टिकती नहीं है। वैसे भी, जो चीज़ समय लेकर, संघर्ष झेलकर, पसीना बहाकर मिलती है, वही ज़िंदगी का असली स्वाद बन जाती है।
इसलिए दोस्तों, जब भी आपको लगे कि सब धीरे-धीरे हो रहा है, तो घड़ी और कैलेंडर की ओर मत देखिए। बस विश्वास रखिए कि यह सफ़र आपको भीतर से गढ़ रहा है। आने वाला हर नया दिन, हर छोटा कदम – आपको मज़बूत और परिपक्व बना रहा है क्योंकि असली सफलता कोई इंस्टेंट नूडल्स नहीं, बल्कि धीरे-धीरे पकने वाली दावत है। इसलिए, शॉर्टकट मत खोजिए। धैर्य अपनाइए। अपने सफ़र पर भरोसा रखिए क्योंकि जो आप बना रहे हैं – वह सच में इंतज़ार के क़ाबिल है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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