सार्थकता के साथ करें कार्य…
- Nirmal Bhatnagar
- Sep 29
- 3 min read
Sep 29, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरी नज़र में असली सफलता व्यक्तिगत सपनों को पूरा करने में नहीं, बल्कि अपने व्यक्तिगत सपने की सार्थकता में है। क्योंकि सफलता क्षणिक हो सकती है, लेकिन सार्थकता जीवनभर प्रेरणा देती है। हम अक्सर सपनों को सिर्फ पद-प्रतिष्ठा, व्यक्तिगत उपलब्धि, आदि से जोड़कर देखते हैं और सोचते है कि इन लक्ष्यों को हासिल कर ही हम सफल बन पायेंगे या सफल कहलाएँगे। लेकिन, सच तो यह है कि कोई भी सपना तभी स्थायी संतोष देता है जब उसके पीछे एक गहरी सार्थकता छुपी हो।
जी हाँ दोस्तों, हर इंसान सपने देखता है। कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई बड़ा व्यवसायी, कोई कलाकार। लेकिन क्या केवल अपने इन लक्ष्यों को पाना ही सफलता या सपना पूरा होने का पैमाना है? मेरी नजर में तो नहीं! किसी मंज़िल तक पहुँचना; अपने सपने को पूरा करना निश्चित रूप से अच्छा है। लेकिन अगर वह मंजिल सिर्फ़ हमें व्यक्तिगत लाभ पहुंचाती है, तो लक्ष्य छोटा है। इसलिए सपनों का पीछा करते वक्त ख़ुद से पूछना, “क्या मेरा लक्ष्य दूसरों के जीवन में रोशनी भरता है?”, उसे सार्थक बनाता है। याद रखिएगा, छोटे-छोटे कदम और छोटी-छोटी जीतें तभी मायने रखती हैं जब वे हमें किसी बड़ी सार्थक दिशा की ओर ले जाती हैं। चलिए, अपनी बात को मैं आपको दिल छू लेने वाली एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ-
बचपन से ही रामू का सपना बड़ा बिज़नेस खड़ा करने का था। इसलिए उसने शिक्षा पूर्ण करते ही, दिन-रात मेहनत करना शुरू कर दिया और कुछ ही सालों में अपने व्यापार को स्थापित कर लिया। अब रामू की गिनती शहर के अमीर और प्रतिष्ठित लोगों में होने लगी थी, लेकिन इसके बाद भी उसके भीतर एक अजीब सा ख़ालीपन था।
एक दिन अपने मित्र से प्रेरणा पा रामू ने एक अनाथाश्रम को ज़रूरत का सामान दान किया। इससे उसे कुछ ऐसी संतुष्टि मिली कि उसने ठान लिया कि अपने बिज़नेस से हुए मुनाफे के एक हिस्से को वो समाज को लौटाएगा। उसने अपनी कंपनी में गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए फंड शुरू किया। धीरे-धीरे उसकी यह पहल हजारों परिवारों की जिंदगी बदलने लगी। उस दिन उसे महसूस हुआ कि असली सफलता कंपनी के मुनाफ़े में नहीं, बल्कि उन मुस्कुराते चेहरों की सार्थकता में है, जिन्हें उसने छुआ।
दोस्तों, भौतिक और व्यक्तिगत सफलता तो थोड़े समय के लिए ख़ुशी और संतुष्टि देती है, लेकिन उन लक्ष्यों की सार्थकता की महक हमेशा हमारे जीवन को महकाती रहती है। अर्थात् अगर हम अपने कामों में सार्थकता ढूँढ लें, तो छोटी-सी उपलब्धि भी हमें गहरी खुशी देती है। याने ईश्वर से उपहार स्वरूप मिला हर नया दिन सिर्फ जीने के लिए नहीं, बल्कि किसी और का दिन बनाने का मौका होता है।
दोस्तों, अगर आप मेरी इस बात से सहमत हैं और सार्थकता के भाव को अपने लक्ष्यों के साथ जोड़ना चाहते हैं, तो निम्न बातों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें-
1. सफलता पाने के लिए किसी भी कार्य को करते समय ख़ुद से प्रश्न पूछें, “क्या यह कार्य सिर्फ़ मुझे सफल बनाएगा या किसी और की ज़िंदगी में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा?”
2. हर क्षण कुछ ना कुछ देने का प्रयास करें, फिर भले ही वो मुस्कुराहट ही क्यों ना हो।
3. हमेशा ख़ुद को याद दिलायें कि जीवन में असली खुशी हमें तब मिलती है, जब हम खुद से आगे बढ़कर दूसरों के लिए जीते हैं।
अंत में दोस्तों इतना ही कहूँगा कि सपनों की असली उड़ान केवल ऊँचाई छूने में नहीं, बल्कि दिलों को छूने और अपने कार्यों को सार्थकता से जोड़ने में है। जब हम सार्थकता चुनते हैं, तो हर छोटा कदम हमें बड़ी मंज़िल के करीब ले जाता है। इसलिए ही तो कहता हूँ, “सफलता ताली में सिमटी, क्षण भर में खो जाए! सार्थकता जीवन में उतरे, अमर दीप जल जाए!!”
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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