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सीखें सोचने की कला…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 1 day ago
  • 4 min read

Oct 16, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

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दोस्तों, चलिए एक प्रश्न का जवाब दीजिए, “जीवन को बदलने में कितना समय लगता है?” चलिए छोड़िये मैं बताता हूँ, चंद सेकंड… चौंक गए ना! ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्यूकि जीवन को बदलने के लिए सिर्फ़ सोचने भर का समय लगता है। जब आप अपनी सोच बदलकर, जीवन को बदलने वाला सबसे बड़ा निर्णय लेते हैं, तब आपका जीवन बदलने लगता है। लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है दोस्तों कि हम जल्दबाज़ी में निर्णय लेना शुरू कर दें। लेकिन कई बार हम सबके जीवन में ऐसे पल आते हैं, जब हमें तुरंत निर्णय लेना पड़ता है। कभी इसके लिए हालात दबाव बनाते हैं, तो कभी भावनाएँ। लेकिन इसके बावजूद भी निर्णय लेने में हमें ना तो जल्दबाज़ी दिखाना चाहिए और ना ही सिर्फ़ सोचते रहना चाहिए। हमें तो तथ्यों के आधार पर, भविष्य की स्थिति का आकलन करते हुए, अपने लक्ष्यों पर नज़र रखते हुए, योजनाबद्ध तरीके से सोचना चाहिए।


याद रखिएगा दोस्तों, जो व्यक्ति सही तरीके से “सोचने” की कला जानता है, वही जीवन में सही दिशा चुन पाता है। चलिए इसी बात को हम पंचतंत्र की एक कथा और एक लोककथा से सीखने का प्रयास करते हैं कि जल्दबाज़ी में लिया गया निर्णय अक्सर पछतावे में क्यों बदल जाता है।


कई साल पहले की बात है, एक तालाब में तीन मछलियाँ रहती थी। एक साल बारिश कम होने के कारण तालाब में पानी सूखने लगा। पहली मछली ने इस स्थिति को अच्छे से भाँप लिया और समय रहते तालाब छोड़ दिया। यह उसकी दूरदर्शी सोच का परिणाम था। दूसरी मछली जानबूझ कर पहले मछुआरे के कांटे में फँसी और फिर बुद्धिमानी पूर्वक दूसरे तालाब के पास से गुज़रते हुए मरने का नाटक करने लगी, जिसके कारण मछुआरे ने उसे पानी से लबालब भरे तालाब में फेंक दिया और वह बच निकली। यह परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने की उसकी क्षमता का परिणाम था। तीसरी मछली, न तो दूरदर्शी थी और न ही सोचने वाली। वह बीतते समय के साथ पानी की कमी की वजह से मारी गई।


दोस्तों, तीनों मछलियों का जीवन हमें बताता है कि समझदारी केवल किताबों में नहीं, बल्कि हर क्षण के निर्णयों में होती है। जो व्यक्ति आने वाले संकट को भाँप लेता है, वही जीवन में सुरक्षित रहता है और जो हर परिस्थिति में सोच-समझकर प्रतिक्रिया देता है, वही वास्तव में विजेता होता है।


लेकिन दोस्तों दूरदर्शी सोच रख त्वरित निर्णय लेने का अर्थ यह नहीं होता कि जल्दबाज़ी में निर्णय लिया जाये क्योंकि कई बार एक पल की जल्दबाज़ी, जीवन भर का पछतावा बन जाती है। चलिए इस बात को हम एक लोककथा से समझते हैं।


कई साल पहले एक महिला ने देखा कि एक नेवला उसके बच्चे के पास खून से लथपथ बैठा है। यह देख महिला को बहुत तेज गुस्सा आया और उसने बिना कुछ सोचे, नेवले को मार डाला। कुछ पलों बाद महिला ने देखा कि वहीं पास में ही एक साँप मरा पड़ा है। अब वह समझ चुकी थी कि जिस नेवले को उसने मारा था उसने तो उसके बच्चे को बचाया था। पर अब उसके पास पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचा था।


दोस्तों, यह कहानी जब भी मुझे याद आती है या मैं इसे किसी से साझा करता हूँ, मैं दिल की गहराइयों तक हिल जाता हूँ क्योंकि दिल की गहराइयों तक झकझोरने वाली यह कहानी हमें याद दिलाती है कि भावनाओं के अँधेरे में किया गया निर्णय, समझदारी की रोशनी को बुझा देता है। दोस्तों, किसी भी निर्णय को लेने के पहले कभी-कभी “एक पल रुक जाना” ही जीवन का सबसे बड़ा बचाव होता है।


लेकिन आज के इस तेज रफ़्तार जीवन में परिस्थितिवश हम सब निर्णय लेने की मशीन बन गए हैं और इसी वजह से जाने-अनजाने में जीवन के लिए वास्तविक रूप से आवश्यक चीजों से दूर हो गए हैं। इस दौर में दोस्तों सही मायने में ख़ुश और संतुष्ट रहने के लिए हमें समझदारी पूर्वक जीवन में आगे बढ़ना होगा और गंभीरता पूर्वक सुनना, सोचना और फिर आगे कदम बढ़ाना होगा। इसीलिए चिकित्सा, व्यवसाय या रिश्तों के संदर्भ में कहा जाता है, कि “दूसरी राय अवश्य लें…” क्योंकि दूसरी बार सोचना, कई बार आपको गलती करने से बचा लेता है।


इसलिए ही दोस्तों, सच्ची बुद्धिमानी समय रहते सोचने में है। इसी बात को समझाते हुए आर्थर कॉनन डॉयल ने कहा था, “घटना के बाद बुद्धिमान होना आसान है, लेकिन बेहतर यह है कि समय रहते सोच लिया जाए।” याद रखियेगा दोस्तों, जीवन में अवसर बार-बार मिल सकते हैं, पर ज़िंदगी दोबारा नहीं मिलती। इसलिए, हर कदम सोचकर रखिए क्योंकि एक गलत फैसला भविष्य की दिशा बदल सकता है, और एक सही निर्णय आने वाले वर्षों को सँवार सकता है।


अंत में इतना ही कहूँगा कि जब भावनाएँ हावी हों, तब ठहर जाइए। जब भ्रम बढ़े, तब पुनर्विचार कीजिए क्योंकि जो व्यक्ति अपने मन को शांत रखकर निर्णय लेता है, वही जीवन के हर तूफ़ान में स्थिर रह पाता है। इसलिए पहले सोचिए, फिर चलिए क्योंकि समझदारी की यही सबसे सुंदर पहचान है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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